योग जीवन जीने की कला है। शुरुआत चाहे आसन से करें या ध्यान से, योग वह तरीका है
जिसके जरिए हम अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। इंसान सिगरेट पी सकता है, पान खा
सकता है तो योग करने में हिचक क्यों/ जब हम एक बुरी आदत डालकर अपनी आयु कम कर सकते
हैं तो एक अच्छी आदत डालकर आयु को बढ़ा भी सकते हैं। विज्ञान भी मानता है कि योग
मावन शरीर को निरोग रख सकता है। लेकिन आमतौर पर लोग योग तब अपनाते हैं जब
होम्योपैथी से लेकर एलोपैथी चिकित्सा तक आजमा चुके होते हैं। तब तक रोग बढ़कर पचास
प्रतिशत तक हो चुका होता है। फिर इस लाइलाज बीमारी के खौफ से पैदा तनावों के कारण
बीमारी बढ़कर कहीं से कहीं पहुंच जाती है।
कई मामलों में बीमारी के भयावह
रूप धारण कर लेने के बावजूद जब मरीज योग की शरण में आता है तो उसकी नब्बे फीसदी
बीमारी चालीस दिन में ठीक हो जाती है। इस संदर्भ में डायबिटीज के कुछ रोगियों के
मामले गौर करने लायक हैं। परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित बिहार योग
विद्यालय ने उड़ीसा के बुरला मेडिकल कालेज के सहयोग से डायबिटीज के ऐसे मरीजों पर
अनुसंधान किया था जो चालीस वर्षों से इंसुलिन का इंजेक्शन ले रहे थे। दरअसल, योग को
पहले साधु-संतों की साधना का माध्यम ही माना जाता था। स्वामी जी ने बिहार में
मुंगेर के एक छोटे से कमरे से योग विद्या का प्रचार शुरू किया। धीरे-धीरे यह विद्या
विश्वव्यापी हो गई।
योग उपचार के बाद एक दशक तो क्या, उससे भी ज्यादा समय
बीत जाने के बावजूद उनमें से किसी रोगी ने फिर से डायबिटीज की शिकायत नहीं की। तो
क्यों न शुरू में ही बीमारी को जड़ से समाप्त कर दें/ जीवन में किसी न किसी कारण
तनाव रहता ही है। यही आगे चलकर गंभीर बीमारियों का रूप ले लेता है। इसका निराकरण
योग के जरिए बेहद आसान है। रोज आधा घंटे तक योग निद्रा का अभ्यास करने से मानसिक
अशांति से छुटकारा मिल जाता है।
बर्लिन में हुए एक सम्मेलन में दुनिया भर के
मनोवैज्ञानिक पहुंचे थे। वहां भागलपुर मेडिकल कालेज के मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष
डा. इंदुभूषण ने योग निद्रा पर व्याख्यान दिया। मनोवैज्ञानिक इतने प्रभावित हुए कि
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित करके मानसिक रोगियों को दवा देने के बदले योग निद्रा
कराने का फैसला किया गया। अनुसंधानों से पता चल चुका है कि आसन और प्राणायाम दमा,
डायबिटीज, गठिया, पेट और हृदय संबंधी रोग, यहां तक कि कैंसर और एड्स जैसे असाध्य
रोगों के निवारण में भी मददगार हैं।
Jai Guruji
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