Thursday, July 31, 2014

जो कुछ करना है, वह इसी जीवन में और अभी करना है ....


एक आदमी दुकानदार के पास जाकर बोला, ‘तुम्हारे पास आटा है/’ उसने कहा है, ‘है।’ फिर पूछा, ‘चीनी है/’ दुकानदार बोला, ‘है।’ फिर उसने पूछा, ‘घी है/’ दुकानदार ने कहा, ‘है।’ ग्राहक बोला, ‘अरे भले आदमी! तुम्हारे पास आटा है, चीनी है और घी है। फिर तुम हलवा बनाकर क्यों नहीं बेचते/ उसमें में ये तीन चीजें इस्तेमाल होती हैं।’ दुकानदार बोला, ‘भाई साहब! हलवा बनाने की सारी चीजें मेरे पास हैं, पर हलवा बनाने की युक्ति मेरे पास नहीं है। मैं नहीं जानता कि हलुआ कैसे बनाया जाता है/ यदि बिना जाने हलवा बनाने बैठूंगा तो आटा भी खराब होगा, चीनी और घी भी खराब होगा। न हलवा ही बनेगा और न ये चीजें ही सुरक्षित रह पाएंगी। फिर न आटा आटा रहेगा, न चीनी चीनी रहेगी और न घी घी रह पाएगा।’

हर व्यक्ति सफल होना चाहता है, रोशनी चाहता है, शिखर चाहता है, लेकिन प्रश्न सफलता और रोशनी का नहीं, विवेक का है। विवेक है इसलिए रोशनी है, रोशनी है इसलिए जिजीविषा है। जिस तरह हलवा बनाने की सारी चीजें हैं और युक्ति नहीं है, उसी तरह जीवन को सफल बनाने की तमाम परिस्थितियों के बावजूद विवेक न होने पर व्यक्ति रोशनी के बीच भी अंधेरों से घिरा रहता है। यही कारण है इंसान आज अभाव, निराशा और हताशा को जीता है। हम जो कर भी सकते हैं, वह भी निराशा के कारण नहीं कर पाते। 

सबसे पहले सोचना होगा कि हम चाहते क्या हैं/ उसी के अनुरूप अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा और अपनी पूरी शक्ति लक्ष्य को पूरा करने में लगा देनी होगी। फिर सफलता कदम चूमेगी। किसी को उसकी निष्क्रियता की नींद से जगाने के लिए आवाज लगा देना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सही-गलत की पहचान कराकर सही दिशा देना। सफलता पाने का मूल मंत्र है- आलस्य का त्याग। व्यवस्थित दिनचर्या के लिए समय-नियोजन जरूरी है। सही प्रकार से नियोजन करने से इंसान के पास न समय की कमी रहेगी और न ही काम अधूरे छूटेंगे। रात में सही समय पर सोना और सुबह जल्दी उठना अपनी आदत में शामिल करना होगा। आपको अपना आहार-विहार, आचार-विचार सभी में छोटे-छोटे बदलावों की जरूरत है। ऐसा कोई भी कर सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खान-पान सुधारना होगा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सोच को सकारात्मक बनाना होगा। इंसान माता-पिता और गुरु से तो सीखता ही है, अपने परिवेश और अनुभवों से भी बहुत कुछ सीख सकता है। बस जरूरी है कि वह समय को पहचाने और उसकी कीमत को समझे। बीता समय लौट कर नहीं आता। जो कुछ करना है, इसी जीवन में और अभी करना है।

Jai Guruji

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