Thursday, May 15, 2014

बदलाव के साथ आगे बढ़ने

एक जैन गुरु ने हरदम परेशान रहने वाले अपने शिष्य को शिक्षा देने का एक उपाय निकाला। उन्होंने उससे थोड़ा नमक लाने को कहा। वह नमक ले आया तो उसे एक गिलास पानी में मिला कर पीने को कहा। घूंट भरते ही शिष्य घबरा गया। पूछने पर बोला- ‘पानी का स्वाद कड़वा है।’ इसके बाद गुरु ने उतना ही नमक झील के पानी में डलवाया और उसे पीने को कहा। शिष्य ने कहा- ‘इसका स्वाद अच्छा है।’ गुरु ने समझाया- ‘जीवन में दुख या परेशानी नमक की तरह होती है। हम उसे जितना सीमित सोच में बसा लेंगे, उतना ही वह हमें घेरे रहेगा। हर पल उसी में डूबे रहने के कारण हमें उसकी कड़वाहट झेलनी पड़ेगी। पर उसके साथ सोच के दायरे को फैला देने से मात्रा कम न होने पर भी दर्द में अंतर जरूर पड़ेगा। हमें यही सोच अपनानी होगी। एक छोटे से बीज से फूटा पौधा हो या नवजात शिशु, हमारे मन को खुशी से भर देता है। दरअसल ये नवजीवन के प्रतीक होते हैं। हर दिन बढ़ते जाते हैं। समय के साथ स्थिति बदलती रहती है, पौधे के हरे-भरे पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। फिर पीले पत्तों की जगह नये ललछांहे पत्ते ले लेते हैं। उसी तरह दुख-दर्द, सुख और खुशी के बीच बच्चा बढ़ता जाता है। यह परिवर्तन हमें सुखद आश्चर्य और खुशी से भरता है। लेकिन कुछ बदलाव ऐसे भी होते हैं जो हमें बिल्कुल अच्छे नहीं लगते। जैसे यौवन से बुढ़ापे की ओर बढ़ना या कोई बीमारी हो जाना। शक्ति या संपत्ति का घटना। ये सब हमें मानसिक कष्ट देते हैं। हम बदलाव भी अपने मन के अनुसार चाहते हैं। बल्कि कह सकते हैं कि केवल अपनी बढ़ोतरी के लिए चाहते हैं। यह सहज संभव नहीं है। जीवन में स्थितियों का मिला-जुला रूप मिलता है। केवल अनुकूल स्थितियों की इच्छा दुख का कारण होती है। बदलाव जीवन का अनिवार्य अंग है। जैसे रात का अंधेरा दिन की उजास के आगे हार जाता है, वैसे ही यह चक्र निरंतर चलता रहता है। सुख के लिए इसे स्वीकार करना जरूरी होता है। हम एक तरह के जीवन के आदी हो कर उसी में बंधे रह जाते हैं। हमें वही सही लगने लगता है, उसमें परिवर्तन हमें पसंद नहीं। लेकिन वह सिवाय परेशानी के और कुछ नहीं देता। जो स्थिति हमारे सामने हो, उसके साथ एडजस्ट कर लेने में ही जीना आसान बना रहता है। जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थिति हमारे मन में नकारात्मक भाव भर देती है। उससे बाहर निकल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। बदलाव तो हर पल आना ही है। कुछ स्थितियां सुखद तो कुछ दुखद होंगी ही। ऐसे में हर स्थिति को स्वीकार कर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहना ही जीने का सही रास्ता बन सकता है। jai guruji

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