Tuesday, April 8, 2014

श्रद्धा जाग गई तो कठिन काम भी आसान हो जाता है

राम के साथ विश्वामित्र मिथिला जा रहे थे। जब वे नदी के उस पार पहुंचे तो नाविक को यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि उसकी नाव राम के पवित्र चरणों के स्पर्श से सोने की हो गई है। आश्चर्यचकित नाविक के मुंह से निकल पड़ा, ‘यह कैसा आश्चर्य! अवश्य ही यह अलौकिक महापुरुष हैं।’ वह दौड़कर अपने घर गया और उसने अपनी पत्नी को इस विचित्र घटना के विषय में बताया।
उसकी पत्नी इस चमत्कार की बात सुनकर खुशी से झूम उठी। फिर जितना भी सामान वह अपने घर से ला सकती थी, उठाकर लाने लगी। सामन लाती और उसे राम के चरणों के पास रख देती। उसने सोचा कि वह सारा सामान भी सोने में बदल जाएगा। लेकिन घर का ढेर सारा सामान उठा कर लाते लाते वह थक गई। हालत यह हो गई कि सामान ढोते ढोते उसके सारे शरीर में दर्द होने लगा। यह देखकर नाविक ने अपनी पत्नी से कहा, ‘अब तुम यह मूर्खता बंद करो। आखिर यह बोझ तुम कब तक ढोती रहोगी, सोने के प्रति तुम्हारा लोभ कभी समाप्त नहीं होगा। कहीं तुम इस बोझ में ही दबी न रह जाओ। घर से सामान उठा उठा कर लाने की जगह तुम उन चरणों को ही क्यों अपने घर नहीं ले जातीं।’ नाविक की पत्नी को यह बात जंच गई। वह तुरत राम के पास दौड़ी गई और बोली, ‘आपको मेरे घर पधारना होगा।’ पहले तो राम कुछ झिझके, किंतु फिर उसके आग्रह को देखकर तैयार हो गए। उसके घर जाने के लिए वह नाव में बैठ गए। उसी पल न जाने क्या हुआ कि नाविक की पत्नी सब कुछ को सोने में बदलने की अपनी उस इच्छा को ही भूल गई। वह राम के चरण कमलों के ध्यान में ही डूबी रह गई। नाविक-पत्नी ने राम से प्रार्थना की, ‘मेरे घर आने के अवसर पर आप मुझे कुछ देने की कृपा करें।’ राम ने उसे चार फल दिए। नाविक पत्नी ने उन चारों फलों के बारे में जानना चाहा- वे क्या हैं, वे कहां पैदा हुए, उनके प्रतीकात्मक अर्थ क्या हैं और उनके नाम क्या हैं, लक्ष्मण ने उसे समझाया, ‘ये चारों फल काम, अर्थ, धर्म और मोक्ष हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि राम के युगल-चरणों की प्राप्ति के बाद फिर उनका कोई अर्थ नहीं है। क्योंकि जिन्हें चरणकमलों की प्राप्ति हो गई उनके पास तो वह सब अपने आप आ ही जाएंगे। उनके लिए चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जो सच्चे भक्त हैं, उन्हें इन चारों वर्गों की प्राप्ति के लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। भक्त में अगर श्रद्धा जाग गई तो उसका कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। इसलिए श्रद्धा के बिना भक्ति नहीं जाग सकती।
JAI GURUJI

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