Thursday, April 3, 2014

इंपॉसिबल नहीं, हर स्थिति में कहिए आई एम पॉसिबल

एक विद्यार्थी ने अपने एक मित्र से कहा कि ‘असंभव’ शब्द उसके शब्दकोश में है ही नहीं। मित्र ने मासूमियत से जवाब दिया, ‘भाई अब शिकायत करने से क्या लाभ, शब्दकोश खरीदते समय देखकर क्यों नहीं लिया’ यह तो था मजाक, लेकिन काश! सचमुच कोई ऐसा शब्दकोश मिल जाए जिसमें ‘असंभव’ शब्द न हो। ऐसा शब्दकोश नहीं मिलता तो कोई बात नहीं, आप नेपोलिन हिल वाला तरीका अपना सकते हैं। नेपोलिन हिल एक कम पढ़े-लिखे और गरीब व्यक्ति थे लेकिन वह एक लेखक बनने का सपना संजोए हुए थे। उनके परिचित और मित्र हमेशा उन्हें हतोत्साहित करते थे। वे ऐसा हो पाना असंभव समझते थे। नेपोलिन हार मानने वालों में नहीं थे। शब्द-सामर्थ्य बढ़ाने के लिए उन्होंने सबसे बड़ा और सुंदर शब्द कोश खरीदा। सबसे पहले उन्होंने वह पेज निकाला जहां असंभव अर्थात ‘इंपॉसिबल’ शब्द छपा था। उन्होंने उसे कैंची से काटकर फेंक दिया। यदि हम भी चाहते हैं कि असंभव या इंपॉसिबल शब्द हमारे जीवन में कभी बाधा न बने तो हमें भी इसे अपने मन-मस्तिष्क के कंप्यूटर से डिलीट करना पड़ेगा। जब कभी कोई गलत शब्द लिखा जाता है तो हम उस शब्द को काटकर सही शब्द लिख देते हैं। यह किसी भी दृष्टि से गलत नहीं है। शब्द, पंक्ति, अनुच्छेद या भाषा की तरह ही कई बार हमारे विचार या भाव भी गलत होते हैं। गलत शब्द की तरह ही गलत विचार या भाव को काटकर या मिटाकर उसके स्थान पर सही विचार या भाव लिखना भी जरूरी है। कोई भी गलत विचार या भाव एक कंडीशनिंग है और गलत शब्द की तरह ही उसे मिटाना या काटना डीकंडीशनिंग कहलाता है। उसके स्थान पर सही विचार या भाव की कंडीशनिंग जरूरी है। डीकंडीशनिंग के बाद सही शब्द, विचार अथवा भाव को मन रूपी बगिया में रोपना रीकंडीशनिंग है। हमारी रीकंडीशनिंग में सबसे बड़ी बाधा है ‘असंभव’ शब्द की गहन कंडीशनिंग होना। असंभव अर्थात इंपॉसिबल एक निषेधार्थक शब्द है जो संभव शब्द में ‘अ’ या पॉसिबल में ‘इम’ उपसर्ग लगने से बना है। हम अपने मन में ‘असंभव’ शब्द की गहन कंडीशनिंग को तोड़कर ‘संभव’ शब्द की रीकंडीशनिंग कर लें तो जीवन में क्रांति संभव है। बस मन में विश्वास पैदा करना है कि सब कुछ संभव है। इंपॉसिबल शब्द को ही लीजिए। इसी में निहित है एक महत्त्वपूर्ण सकारात्मक संदेश आई एम पॉसिबल। इसे ही जीवन का संदेश मान लीजिए। jai guru ji.

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