Friday, January 13, 2017

प्रेम ..(Love ..)


जिस प्रकार स्वस्थ रहना, सुखी रहना और आनंदित रहना, मनुष्य की चाहत है, उसी प्रकार प्रेम करना, प्रेम का अनुभव करना, अपने जीवन को प्रेममय बनाना मनुष्य का कर्तव्य है। दरअसल अप्रेम एक बीमारी है, उसी प्रकार अपने स्वभाव धर्म से गिर जाना भी बीमारी का लक्षण है। इस दुनिया में प्रेम के सिवाय और कुछ है ही नहीं। जब नदी सागर से प्रेम करती हो, भंवरे फूल से प्रेम करते हों, चांद, सूरज, ग्रह, नक्षत्र हम सभी से प्रेम करते हुए हमें जीवनदान देते हैं, तो ऐसा मान लेना चाहिए कि प्रकृति में प्रेम के सिवाय और कुछ नहीं है। ईष्र्या, द्वेष, घृणा, हिंसा और क्रोध इन सभी को विकार कहा गया है। इनके जीवन में आते ही मनुष्य की स्वाभाविक आकृति विकृत हो जाती है। इसलिए जब कभी हम अप्रेम की बात सोचते हैं, तो उसमें हमारा अपना स्वरूप नष्ट हो जाता है। हमारा अपना स्वरूप है, प्रेम शालीनता और आत्मीयता का प्रतीक है। विज्ञान में चेतन मन का महत्व माना गया है, लेकिन प्रेम अचेतन मन को स्वीकार करता है। जहां केवल सरलता हो। प्रेम कभी भी टेढ़े-मेढ़े रास्ते से नहीं चलता। प्रेम है, तो है। इसलिए प्रेम की परिभाषा नहीं होती। जिस दिन मनुष्य सरल बन जाएगा, उसे प्रेम करना आ जाएगा। उसी सरलता की बात कह रहा हूं। सच पूछा जाए, तो मनुष्य स्वयं ही सरल बनकर जीना चाहता है। विकारयुक्त जीवन किसी को पसंद नहीं है, लेकिन हमारे चारों ओर जो परिस्थितियां बनती हैं, उनसे हम प्रभावित होते हैं और अप्रेम और घृणा की भाषा बोलने लगते हैं। इसमें केवल हमारा दोष है। दूसरे लोग कहते हैं, सबसे प्यार करो। यह कोई नहीं कहता कि पहले स्वयं से प्यार करना सीखिए, पहले स्वयं पर प्रयोग करें, आपको प्रेम करना आ जाएगा। अभी आप प्रेम करने की विधि भूल चुके हैं और कहीं-न-कहीं आप स्वयं को भूल चुके हैं। इसलिए पहले स्वयं से प्रेम करें, आपका यही प्रेम बहकर चारों ओर फैल जाएगा। इसे बहने दें। प्रेम के संदर्भ में यह बात महत्वपूर्ण है कि प्रेम बेशर्त होता है। जहां पर शर्त होगी, वहां प्रेम नहींहोगा। वस्तुत: प्रेम व्यवसाय या कारोबार नहींहै, जो लाभ-हानि के गणित से संचालित होता हो। जहां गणित है, वहां प्रेम हो ही नहींसकता। प्रेम देना चाहता है, लेना नहीं। मां का बेटे से जो प्रेम होता है, वह नि:स्वार्थ होता है। पति और पत्नी के संबंधों की बुनियाद भी प्रेम पर आधारित होती है, लेकिन जब दोनों के मध्य प्रेम के नाम पर दुनियादारी का गणित शुरू हो जाता है, तभी उनके रिश्तों में दरार पड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
जय गुरूजी.    

In English:

(The way to be healthy, to be happy and to be happy, I'm looking for a man, to love him, to experience love, it is the duty of man to make your life loving. Indeed without love is a disease, so the symptoms of the disease is falling by its nature religion. And there is nothing in this world except love. When you are in love with the river, the ocean, Fruit flies love flowers are the moon, sun, planets, stars we love, we are dropped, then it must assume that nature is nothing but love. Jealousy, envy, hatred, anger, violence and disorder, all has been said. Come in his way, man's natural shape is distorted. Hence, when we talk to think without love, it is our own nature is destroyed. Our own nature, is a symbol of love and intimacy decency. Science has accepted the importance of the conscious mind, the unconscious mind accepts but love. Where only be simplicity. Love does not always awkward way. Is love, then. The definition of love is not so. The day when man will become simpler, it will come to love. I say the same thing of simplicity. The truth is asked to live as man itself is simple. Vikaryukt life is not like someone, but the circumstances around us are made without love him and we are affected and begin to speak the language of hatred. It is only our fault. Others say, the love. It does not say learn to love themselves first, before using on themselves, you will come to love. Right now you have forgotten how to love and something to do somewhere you have forgotten themselves. Therefore, to love yourself first, you will spread the love flowing around. Let it flow. It is significant in the context of love that is unconditional love. Where would bet there would not be love. In fact, love is not a business or businesses, which are driven by the profit-loss calculations. Where mathematics, could not there be love. Love wants to give, not take. The son of mother love, she selflessly happens. Husband and wife relationship is based on the foundation of love, but of the world in the name of love between the two is math, then begins the process of cracking in their relationships.)
Jai Guruji.

No comments: