Thursday, January 19, 2017

आजादी में आनंद का सुख ..(Enjoy the pleasures of freedom ..)


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चीन के महान दार्शनिक च्युआंग जू एक दिन नदी किनारे अपूर्व मस्ती में बैठे थे। तभी वहां से राजा दरबारियों के साथ गुजरे। उन्होंने च्युआंग जू को देखा और उनसे बातचीत की। राजा उनके ज्ञान और विद्वता से बहुत प्रभावित हुए। महल पहुंचते ही राजा ने दूत भेज कर उनको निमंत्रण भिजवाया। जब च्युआंग जू राजमहल पहुंचे तो राजा ने उनका स्वागत करते हुए कहा, ‘मैं आपके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस राज्य के लिए बड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इसीलिए मैं आपको इस राज्य के प्रधानमंत्री का पद देना चाहता हूं।’ च्युआंग जू दार्शनिक राजा की बात बड़े मनोयोग से सुन रहे थे। साथ ही राजा के कक्ष में इधर-उधर नजर भी दौड़ा रहे थे। अचानक ही दार्शनिक की दृष्टि राजा के कक्ष में मृत कछुए के कलेवर पर पड़ी। दार्शनिक ने राजा से बड़ी विनम्रता से कहा, ‘मैं आपके प्रस्ताव के संबंध में हां या ना कहने से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूं।’ राजा ने प्रसन्नचित हो कहा, ‘पूछिए।’ दार्शनिक ने कहा, ‘आपके इस कक्ष में जो यह कछुए का कलेवर पड़ा है, अगर इसमें फिर से प्राणों का संचार हो जाए तो क्या यह कछुआ आपके इस सुसज्जित महल में रहना पसंद करेगा?’ राजा ने कहा, ‘नहीं। यह तो पानी का जीव है, पानी में ही रहना चाहेगा।’ मुस्कुराकर च्युआंग जू ने कहा, ‘तो क्या मैं इस कछुए से भी ज्यादा मूर्ख हूं, जो अपना आनंदपूर्ण, आजाद जीवन छोड़कर यहां आप के महल में परतंत्रता और जिम्मेदारियों के कांटों का ताज पहन कर जीने को तैयार हो जाऊंगा? बंधन में बांधने वाला यह प्रधानमंत्री पद मुझे नहीं चाहिए।’ दार्शनिक के विचार सुनकर राजा ने दार्शनिक का अभिवादन करते हुए कहा, ‘आप विचारों से ही नहीं आचरण से भी पूर्ण दार्शनिक हैं।’ 
जय गुरूजी.  

In English:

(The great Chinese philosopher Xu Chyuaang sat in a fun day river adventure. Then there The king went with courtiers. He saw and spoke to them Chyuaang Xu. King was impressed by his knowledge and scholarship. They reached the palace, the King sent messengers sent invitations. When the king arrived at the palace to welcome him Chyuaang Xu said, "I am very impressed by your personality. I believe that you could be very significant for the state. That's why I want to become Prime Minister of this state. "Philosopher king Chyuaang Xu large studiously were listening. Look around in the king's chamber were also-ran. Suddenly the eyes of the philosopher king in the room was on the body of the dead turtles. Philosopher king said demurely, "I say yes or no to your proposal before you have questions." The king said to be light-hearted, "Ask." The philosopher said, "It is you who in this room Klever turtle had, if it lives again in this communication should be your castle, then this turtle would like to live in? "the King said," No. The creatures of the water, the water would remain. "Chyuaang Xu smiled and said," So I'm stupid than the tortoise, who joyful, free life in the castle, except here you subordination and responsibilities of thorns wearing the crown will be ready to live? The Prime Minister, I do not want it in the bond. 'Philosophical idea of ​​the philosopher king greeting and said, "You not only conduct full philosophical ideas.")
Jai Guruji.

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