Sunday, December 25, 2016

पांचो इंद्रियां ही नहीं मन, बुद्धि और अहंकार भी प्राण से ही गति पाते हैं. ..(Not only the five senses, mind and intellect Ego of the soul find the speed..)


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• गीता में कहा है, ‘मुझमें प्राणों को अर्पित कर।'’इसका क्या अर्थ है?

प्राण केवल सांस नहीं, बल्कि एक जीवनी शक्ति है, जिसके बिना जीवन हो ही नहीं सकता। यह प्राण हमारे पूरे शरीर में फैलकर पूरे शरीर, इंद्रियों, मन, बुद्धि और अहंकार को गति दे रहा है। प्राण जब इंद्रियों के साथ गति करता है तब इंद्रियां विषयों की ओर जाती हैं, लेकिन यदि यह प्राण इंद्रियों में सही प्रकार से न बहे तो आंख देख नहीं सकती, कान सुन नहीं सकता और जुबान बोल नहीं सकती। इसी प्रकार मन भी प्राण से ही गति करता है और बुद्धि निर्णय लेने का कार्य भी प्राण के द्वारा ही करती है। या यूं कहे प्राण से ही सब कुछ चल रहा है। जब सब कुछ प्राण से ही चल रहा है तब प्राण को ही यदि भगवान में अर्पित कर दिया जाए, तो प्राण से चलने वाला शरीर, इंद्रियां, मन और बुद्धि भगवान को ही समर्पित हो जाएंगे। हर सांस में केवल भगवान की याद रहेगी। जैसे किसी कंपनी के बिकने पर उसमें आने वाली सभी चीज खरीदने वाले के अधिकार में आ जाती है। 
• मरने पर जीवात्मा शरीर छोड़ती है या प्राण शरीर छोड़ता है ? 

प्राण को जब यह लगता है कि यह शरीर जीर्ण-शीर्ण हो गया है और उसके रहने लायक नहीं रहा, तब प्राण उस शरीर का साथ छोड़ देता है। लेकिन अपने जाने के साथ ही शरीर में रहने वाला यह प्राण अपने साथ उस शरीर में स्थित जीवात्मा को भी ले जाता है। प्राण के द्वारा ही जीवात्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में गति करता है। जीवात्मा का अर्थ है चित्त में पड़े संस्कार व इंद्रिय, मन और बुद्धि की शक्ति। अतः मरने के बाद शरीर से प्राण और जीवात्मा दोनों जाते हैं, क्योंकि दोनों अलग होते हुए भी आपस में जुड़े होते हैं।

• क्या पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पांचों तत्त्वों का प्राण अलग-अलग होता है ? 

पांच तन्मात्राओं की शक्ति, प्राण ही है और इसी प्राण शक्ति द्वारा तन्मात्राओं से पांच महाभूत बने हैं। पांचों महाभूत का प्राण, कार्य की दृष्टि से अलग-अलग होता है, लेकिन आधार रूप में ब्रह्मांड में फैला प्राण एक ही होता है। जैसे बिजली एक होती है लेकिन फ्रिज ठंडा करने का काम करता है और हीटर गर्म। 

• शरीर में पांच प्राण का स्थान कहां है? 

प्राण तो एक ही है, लेकिन कार्य की दृष्टि से इसके पांच भेद हैं। पहली प्राण वायु है जो नासिका से हृदय तक रहती है, दूसरी समान वायु है जो हृदय से नाभि तक स्थित है और तीसरी अपान वायु है जो नाभि से पैर तक स्थित है, चौथी उदान वायु है जो गर्दन से सिर तक रहती है तथा पांचवी व्यान वायु है जिसका स्थान संपूर्ण शरीर में फैला हुआ है। 
जय गुरूजी. 
In English:

(• In the Gita, "The soul in me pay. '' What does this mean?

Not only breathed life, but a life force, without which life can not exist. The soul of our whole body dilates the body, senses, mind, intellect and ego is speed. When speed is of the senses and the soul senses are subject to, but if it senses a life not to flow properly in the eye can not see, ears can not hear and can not speak the tongue. Similarly, the mind moves the soul and intellect by the soul is the act of making the decision. Yun says everything is running or soul. When everything is going on with life as if the soul were to be devoted to God, the soul-driven body, senses, mind and intellect will be devoted to God. Remember, only God's will in every breath. Such as selling a company to come in at all the right thing is returned to the buyer.
• dying soul leaves the body or soul leaves the body?

Life when it seems that the body is obsolete and not worth living, the soul leaves the body. But it lives in your body as well as soul with the body to the soul moves. Soul by soul moves from one body to another body. Soul means being in mind and senses rites, mind and strength. Therefore, the life and soul of the dead body are both, because both are separate, yet interlinked.

• earth, water, fire, air and ether are the five elements of life different?

Five Tnmatraon power, is the life and the soul by the power of the five Mahabhut Tnmatraon made. Mahabhut five dead, functionally different, but the premise is the same as the universe stretches the soul. But such power is a function of the refrigerator to chill and warm heater.

• Where is the place in the body of the five life?

So life is the same, but in terms of function five differences. whose air space is spread over the entire body.)
Jai Guruji.

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