Sunday, November 20, 2016

अपना बचाव ..(Protect yourself..)


ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया जा रहा था तो उन्होंने यही कहा था कि हे ईश्वर इन लोगों को क्षमा कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं। क्षमा अच्छी बात है, लेकिन हम सबमें इतनी क्षमता और धैर्य नहीं होता है कि हम अपना अहित करने वालों को क्षमा कर सकें। हम दूसरों को क्षमा कर सकें तो भी अपना बचाव करने में क्या बाधा या बुराई हो सकती है? इतना निश्चित है कि हर समाज में हर जगह ऐसे असंख्य लोग होते हैं जो अपने निहित स्वार्थो के चलते दूसरों का अहित करने, लूटने या उन्हें नष्ट करने तक से नहीं चूकते। यदि हम बहुत गहरे में उतर कर देखें तो गलत कार्य करने वाले वास्तव में जानते ही नहीं कि वे गलत कर रहे हैं, लेकिन जाने या अनजाने में किए गए उनके गलत कार्य हमें हानि पहुंचा सकते हैं या पूर्ण रूप से नष्ट कर सकते हैं। अत: स्वयं को बचाना अनिवार्य है। अर्थात हमें उनकी तरह से कोई गलत कार्य अथवा जैसे को तैसा वाली नीति न अपनाकर भी अपना बचाव अवश्य करना चाहिए। और इसका एक ही उपाय है और वह यह कि हम गलत लोगों को प्रहार करने का मौका ही न दें। उनके प्रलोभनों व षड्यंत्रों से बचने के लिए सदैव सचेत व सतर्क रहना अनिवार्य है।  ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने वाले अथवा सुकरात को विष का प्याला पीने के लिए विवश करने वाले लोगों का अस्तित्व पहले भी था और आज भी है। यह बात जरूर है कि आज उनकी संख्या बहुत बढ़ गई है। अत: सावधानी की जरूरत भी बढ़ गई है। साथ ही यह भी जरूरी है कि यदि हमारे अंदर गलत तत्व हैं तो हम उन्हें भी दूर करें। चूंकि दूसरों को नहीं सुधार सकते या गलत कार्य करने से नहीं रोक सकते इसलिए उनसे हर हाल में सावधान रहें। सावधानी वह पहला तरीका है जिससे हम खुद को आने वाले संकटों से बचा सकते हैं। इसके लिए हमें अपने अंदर विवेक को जागृत करना होगा ताकि हम सही और गलत की पहचान कर सकें। गलत लोगों से सीधे मुकाबला करने या कुछ कहने अथवा उनकी आलोचना करने की अपेक्षा अपना बचाव करने की कोशिश करना ही उचित प्रतीत होता है। कहा गया है कि सावधानी में ही बचाव है। सावधानी का एक तरीका यह भी है कि हम गलत लोगों के और अपने बीच में इतनी दूरी बनाकर रखें कि जब भी वे कोई प्रहार करने का प्रयास करें उनका हर प्रहार निष्फल हो जाए।
जय गुरूजी. 

In English:

(When Jesus was being crucified, he said that God forgive these people, because they do not know what you are doing. Forgiving is good, but we all have the capacity and patience that we can forgive those who harm. We can forgive others, even to defend what may hinder or harm? So certain that in every society there are people everywhere who have been innumerable harm others due to their vested interests, not cease to rob or destroy them. Therefore, it is essential to protect themselves. That way no wrongdoing by us or not adopting the policy of tit for tat must also defend. And it is one solution and that we do not get a chance to poke the wrong people. His temptations and intrigues always alert and vigilant to avoid the inevitable. Jesus crucified or are forced to drink the cup of poison to Socrates, who was and still is today, even before people existed. Of course, today their number has increased. Hence the need for caution has increased. Also, it is important that they be in us, so we make the wrong element. The others can not improve or wrongdoing can not stop them at all costs, so be careful. Caution first way we can save ourselves from the crisis. For this we must awaken our conscience so that we can identify right and wrong. Or to compete directly with the wrong people or say anything to try to defend himself than to his criticism seemed reasonable. That caution is the only defence. Caution is also a way that we keep making the wrong people and the distance between them so that when they try to poke their every attack should be abortive.
Jai Guruji.

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