हमारे व्यवहार से हमारी एक छवि बनती है और समाज इसी छवि से हमें जानता-पहचानता है। किसी भी मनुष्य की जैसी छवि बनती है, वह न केवल जीते जी उस छवि के कारण जाना जाता है, बल्कि मृत्यु के बाद भी लोग उसे उसी रूप में याद करते हैं। एक चर्चित विदेशी कवि का कहना है कि नाम में क्या रखा है। शायद इसका भावार्थ इसी संदर्भ में होगा कि व्यक्ति का नाम चाहे जो भी हो, लेकिन उसकी पहचान उसके व्यवहार से होती है। यानी व्यक्ति का नाम कितना ही सुंदर क्यों न हो, लेकिन यदि उसके व्यवहार में आत्मीयता नहीं होगी तो उसके नाम का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसी तरह कह सकते हैं कि कोई व्यक्ति कितना ही रूपवान क्यों न हो, लेकिन यदि उसके व्यवहार में आत्मीयता का लोप है तो उसका रूपवान होने का कोई विशेष महत्व नही है। समाज में आपकी छवि अच्छी हो, इसलिए हर इंसान को अपने व्यवहार में आत्मीयता रखनी चाहिए। वह जब भी किसी से बात करे तो सामने वाले को उसकी बात और व्यवहार में आत्मीयता नजर आनी चाहिए। आत्मीयता से मनुष्य दुश्मन को भी अपना मित्र बना लेता है और आत्मीय न होने पर मित्र भी दुश्मन बन जाते हैं। मनुष्य की वाणी उसके लिए वरदान व अभिशाप, दोनों है। मधुर वचन को औषधि के समान माना गया है, जो रोग का निवारण करते हैं और कटु वचन तीर की भांति हृदय को आघात पहुंचाते हैं। इसी तरह मानव जीवन में सदाचरण का बहुत बड़ा महत्व है। मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह सामाजिक नियमों का पालन करे। सामने वाले व्यक्ति से ऐसा व्यवहार करे, जिससे आत्मीयता की भावना जाग्रत हो। हम जैसा व्यवहार दूसरे के साथ करेंगे वैसा ही व्यवहार दूसरा भी हमारे साथ करेगा। इसलिए दूसरे से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करने से पहले हमें उसके साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। हमारा व्यवहार हमारे आचरण पर निर्भर करता है। यदि आचरण शुद्ध हो तो व्यवहार स्वत: सुधर जाता है। व्यवहार और आचरण को हमारे पारिवारिक संस्कार और सामाजिक व्यवस्थाएं प्रभावित करती हैं। आचरण से हमारा व्यवहार प्रभावित होता है तो व्यवहार से सामाजिक प्रतिष्ठा। सच बोलना, किसी को दुख न पहुंचाना, बड़ों का सम्मान करना और नैतिक मूल्यों की रक्षा करना जैसी सारी बातें आचरण की पवित्रता में आती हैं। आचरण की शुचिता और व्यवहार की आत्मीयता से न केवल व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा मिलती है, बल्कि उसका आध्यात्मिक विकास भी होता है।
जय गुरूजी.
In English:
(An image is formed by our behaviour and our society from the same know - recognizes us know. Like any human image is formed, it is not only alive because of that image, but also after death recalls him as such. According to a famous name What's in a foreign poet. Perhaps the sense that the person named in this context whatsoever, but his identity is his behaviour. No matter how beautiful the person's name, but in practice it will not be so subjectivity is no longer any sense of his name. Similarly, we can say that no matter how good looking person may be, but if it is omitted in practice, his handsome intimacy is not there a special significance. Your image is good in society, because every human being should have affinity in their behaviour. When she talks to anyone in front of him and practice intimacy displayed. Human subjectivity also makes friends and enemies are not intimate friends become enemies. Blessing and curse for man's voice, is both. The drug has been considered as the sweetest word, prevention of disease and harsh words like arrows that cause heart attacks. Similarly, the huge importance of morality in human life. This man has a duty to comply with social norms. Behave this way in front of the person, which is a sense of intimacy. We will treat each other with us will be treated second. So expect good behaviour from the other before we should treat him well. Our behaviour depends on our behaviour. If the conduct is pure behaviour auto is reformed. Attitudes and behaviour and social systems that affect our family rites. Our behaviour is affected by the conduct of the practice of social prestige. Tell the truth, not to cause pain to anyone, such as respect for elders and moral values to preserve the purity of conduct are in many things. Purity of conduct and behaviour of the person in society is not only prestige of subjectivity, but it is also spiritual growth.
Jai Guruji.
No comments:
Post a Comment