अक्सर हम सड़कों पर दौड़ते भारी वाहनों के पीछे लिखा देखते हैं, ‘कीप डिस्टेंस’। यानी दूरी बनाए रखें। यह यात्रा के समय सफर को सुगम और सुरक्षित बनाए रखने का एक सिद्धांत है। यात्रा के दौरान दुर्घटना न घटे, इसके लिए जिस तरह हम वाहनों के मध्य एक डिस्टेंस बनाए रखते हैं, वैसे ही इसे अपने जीवन के हर क्षेत्र में भी अपनाना हमारे लिए हितकर होता है।
जिस तरह ड्रेस के लिए कपड़ा खरीदते समय और सिलवाते समय शरीर के बढ़ते आकार को ध्यान में रखते हुए हम मार्जिन रखवाते हैं, उसी तरह भविष्य के लिए अपनी कमाई और खर्च में भी बचत के रूप में यह डिस्टेंस या मार्जिन रखना जरूरी है। अगर हमारी आय और हमारे व्यय के बीच कोई मार्जिन नहीं रहेगा तो बदलते समय के अनुरूप योजनाएं कैसे पूरी की जा सकेंगी? बचत नहीं होगी तब अचानक आई समस्याओं के निदान के लिए धन कहां से जुटेगा? खर्चा आमदनी से अधिक हो जाएगा तो पूंजी घट जाएगी।
‘कीप डिस्टेंस’ को सड़क पर ही नहीं, हमें घर में, रिश्तों की डगर पर भी प्राथमिकता देनी चाहिए। व्यावहारिक जीवन के जिस क्षेत्र में भी डिस्टेंस कम हो जाता है वहीं भय और समस्या उत्पन्न होने लगती है। जब भी किसी मित्र, पड़ोसी या पारिवारिक सदस्य से या संबंधी से जरूरत से ज्यादा नजदीकियां बढ़ती हैं, रिश्तों में खटास आ जाती है। आज के बच्चे ज्यादा तार्किक हैं और हर विषय के प्रति वे बहुत जल्दी अपना स्पष्ट नजरिया भी विकसित कर रहे हैं। उनकी परवरिश के लिए वही फॉर्म्युला लागू नहीं किया जा सकता जो पुरानी पीढ़ी के समय था। बच्चों के साथ माता-पिता को दोस्ताना रिश्ता रखना चाहिए, लेकिन एक ‘डिस्टेंस’ के साथ। कोशिश यह होनी चाहिए कि वे अपने दिल की बातें, समस्याएं हमारे साथ खुलकर शेयर करने में कोई हिचक महसूस न करें। लेकिन जहां सही मार्गदर्शन की जरूरत हो वहां दोस्त के बजाय अभिभावक बने रहना ही बेहतर होगा, ताकि वे आजादी का गलत इस्तेमाल न कर सकें।
व्यापार में भी जब नेट और ग्रॉस में, लाभ और हानि के बीच मार्जिन कम हो जाता है तो व्यापार में कठिनाई आने लगती है। प्रतिदिन बदलती अर्थव्यवस्था और उतार- चढ़ाव, कभी मंदी, कभी तेजी के लिए आय और व्यय के बीच एक समुचित अनुपात बनाए रखना जरूरी है। इसी तरह अपने सुख-दुःख के कारकों के बीच डिस्टेंस रखना भी अत्यंत आवश्यक है। कहीं हम आज के सुखों की उत्कंठा में आने वाले कल के लिए दुखों का सौदा तो नहीं कर रहे? अवगुणों से दूरी कम तो नहीं हो गई है? इस ‘कीप डिस्टेंस’ का एक ही अपवाद है और वह है परमात्मा से हमारा रिश्ता। इस बात का निरंतर ध्यान रखते चलना चाहिए कि कहीं परमात्मा से हमारे रिश्तों में डिस्टेंस न बनने लग जाए।
जय गुरूजी.
In English:
(Often we see around the streets on the back of heavy vehicles, "Keep Distance". Maintain the distance. It is simple and safe to keep travel time travel theory. Accident arise during the visit, the distance between the way in which we maintain vehicles, so in every area of your life is beneficial for us to adopt.
When buying fabric for the dress and the growing size of the body, keeping Silwate we are Rkwate margins, earnings and expenses for the future in the same way as saving it is important to keep the distance or margin. No margin between our income and our expenses will be in line with the changing times, how the plans would go? will not save money for the sudden diagnose problems Jutega Where? Capital expenditures will exceed income will be reduced.
"Keep Distance" on the road, not just us in the house, on the path of relationships may be preferred. Practical life in the area fear the distance is reduced and the problem seems to be arising. Whenever a friend, neighbor or family member or relative proximity to grow excessively, have soured relations. Children today are more logical and to every subject they are also developing very fast or clear vision. The same formula can not be applied to their upbringing, which was the time of the older generation. Parents should keep a friendly relationship with the children, but a 'Distance' with. It should try to speak their heart, problems with us, please feel no hesitation in openly share. But the friend instead guardian guidance need to be better, so that they can not abuse freedom.
In business in the net and the gross profit margin is reduced and the loss between difficulty in business seems to be coming. Changing economy and the daily ups and downs, but the recession, but a proper ratio between income and expenditure for the fast is necessary to maintain. Similarly, your joys and sorrows will also be necessary to keep the distance between the factors. Somewhere in the future we have today's longing for the pleasures of the deal are not suffering ? vices is not less than the distance ? the 'funnel' Distance 'is the only exception, and that our relationship with God. Constant care of this should not be that far from the divine will develop our relationships distance.
Jai Guru.
No comments:
Post a Comment