इस बार योग के साथ ओम का दायरा भी विस्तृत हो रहा है। 190 देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है, जिनमें 40 मुस्लिम देश शामिल हैं। इस बार भी योग के दौरान ओम के उच्चारण और सूर्य नमस्कार को लेकर कुछ विरोधी सुर सुनने को मिले। हालांकि सनातन भारतीय मिथक और प्रतीक चिन्हों पर खड़े किए जा रहे विवादों से लाभ यह हो रहा है कि अब इनका वैज्ञानिक स्वरूप सामने आने लगा है। इस कारण कई धर्मो के लोग इन्हें स्वेच्छा से अपनाने लगे हैं। योग को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता मिलते वक्त यही हुआ और अब ओम के साथ भी ऐसी ही संभावनाएं बनती दिख रही हैं। दरअसल योग हो या ओम ये ऐसी शारीरिक क्रियाएं और उच्चारण हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए आश्चर्यजनक रूप से लाभदायी हैं। शरीर विज्ञानी भी अब इन विलक्षण विधाओं को लंबे शोध और परीक्षण के बाद विज्ञान-सम्मत मानने लगे हैं। हमारी दर्शन परंपरा में माना गया है कि संसार का सार ‘वेद’ हैं और वेद का सार है ‘गायत्री मंत्र’ और गायत्री मंत्र का भी सार है ‘प्रणब’। प्रणब का अर्थ है ओम। सनातन धर्म में इस अक्षर की मान्यता पूर्ण ब्रह्म या अविनाशी परमात्मा के रूप में प्रचलित है। अविनाशी परमात्मा को व्यावहारिक अर्थ में एक ऐसी ऊर्जा मान सकते हैं, जो नष्ट न हो, जिसकी निरंतरता बनी रहे। देश-विदेश में चले शोधों से भी पुष्टि हुई है कि ओम का नियमित जाप कई तरह के असाध्य रोगों के उपचार में रामबाण सिद्ध हुआ है। ओम सृष्टि का एकमात्र ऐसा स्वर है जिसके उच्चारण में प्राण वायु शरीर के भीतर जाती है, जबकि शेष सभी उच्चारणों में प्राण वायु बाहर आती है। यानी ओम के उच्चारण से हम अधिकतम प्राण वायु अर्थात ऊर्जा ग्रहण करते हैं। इसके स्पष्ट उच्चारण से जो स्पंदन पैदा होता है वह हमारी संपूर्ण शारीरिक रचना को प्रभावित करता है। इसके सही उच्चारण से पंचमहाभूत पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि का शरीर में संतुलन बना रहता है। शरीर में इन तत्वों के असंतुलन से ही बीमारियां और विकार उत्पन्न होते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों का मानना है कि मेटाबोलिक डिसऑर्डर यानी चयापचय असंतुलन के कारण ही शारीरिक व्याधियां पनपती हैं। इसलिए ओम के जाप को नकारने के बजाय जरूरत तो यह है कि भारतीय ज्ञान परंपरा के इस अनूठे अक्षर को और गहराई से परखा जाए।
जय गुरूजी.
In English:
(This time, the scope is expanding with the addition of OM. Yoga Day is being celebrated in 190 countries, which includes 40 Muslim countries. During this time, Om yoga sun salutation and the pronunciation of certain anti-Sur have heard. Although the eternal Indian myth and symbols are standing on is controversial benefit that they are beginning to scientific format. For this reason many religions people are accepting them voluntarily. See what happened when the United Nations and recognized by Yoga Om now paired with the possibilities seem similar. Om yoga or physical actions and the fact that the pronunciation, which are beneficial for human health dramatically. The physician also long research and test these unique disciplines are beginning to accept the science-abiding. The tradition has been considered the world the essence of our philosophy, "Veda" and the essence of the Vedas "Gayatri Mantra" and the essence of the Gayatri Mantra 'President'. Om Pranab means. Sanatana Dharma absolute Brahman or indestructible divine recognition of the letter is as prevalent. Indestructible divine values in the practical sense, an energy, which can be destroyed, which continued. Abroad away from research confirmed that regular chanting of Om in the treatment of various incurable diseases has proven panacea. Om creation is the only vowel pronunciation which is the oxygen within the body, while the rest comes out of oxygen in all utterances. Ohm maximum oxygen ie by the energy we receive. The articulation is produced by vibrations which affects our entire anatomy. Pancmahabhut the correct pronunciation of the earth, sky, water, air and fire, restoring equilibrium in the body. Imbalance of these elements in the body are caused by diseases and disorders. Modern medical physicists believe that the metabolic disorder that leads to metabolic imbalance due to physical ailments. Therefore, instead of dismissing the need for chanting Om Indian wisdom traditions of this unique character and depth to be tested.)
Jai Guru ji.
No comments:
Post a Comment