Monday, May 2, 2016

इंसानियत पहला धर्म ..(Humane first religion..)


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राजा प्रतिदिन रात के समय यह देखने को घूमते थे कि कहीं कोई अधिकारी प्रजा को सता तो नहीं रहा, कोई दुखी तो नहीं या कोई लुटेरा तो नहीं घूम रहा है। ऐसे ही एक रात को घूमते हुए वे नदी किनारे जा पहुंचे। उन्होंने देखा वहां एक युवक लेटा हुआ है। राजा ने पास जाकर पूछा, ‘तुम कौन हो?’ युवक एक अजनबी को इतनी रात गए घोड़े पर देखकर सहम गया। फिर बोला, ‘मैं लक्ष्मी का दामाद हूं। अपनी पत्नी को लेने जा रहा हूं। पर मुझे इतना जोर का बुखार चढ़ गया है कि मैं एक कदम भी नहीं चल सकता। रात भर यहां आराम कर लूं तो सबेरे चलने लायक हो जाऊंगा।’ राजा ने उसके माथे पर हाथ रखा तो वास्तव में वह तप रहा था। राजा ने कहा, ‘जाड़े के दिन हैं, यहां अकेले में रहना ठीक नहीं है। तुम ऐसा करो कि मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें पहुंचा देता हूं।’ राजा भेस बदले हुए थे, इसलिए युवक उन्हें पहचान नहीं सका। वह थोड़ा हिचकिचाया, पर राजा ने संकोच न करने की सलाह देते हुए उसे उठाकर बैठाया और बोले, ‘तुम बीमार हो, घोड़े पर बैठ जाओ। मैं साथ-साथ घोड़े की लगाम पकड़े चलता हूं।’ सहारा देकर उन्होंने युवक को घोड़े पर बैठा लिया। रास्ते में उन्होंने मालूम कर लिया कि वह राजमहल में काम करने वाली लक्ष्मी का दामाद है। राजा उसे लेकर लक्ष्मी के घर जा पहुंचे। दरवाजा खटखटाकर उन्होंने लक्ष्मी को आवाज दी। दरवाजा खोलते ही लक्ष्मी ने जो दृश्य देखा, उससे वह अपनी आंखों पर भी विश्वास नहीं कर सकी। वह तुरंत राजा के पैरों पर गिर पड़ी और क्षमा मांगने लगी। राजा ने कहा, ‘देखो लक्ष्मी, तुम यह क्यों भूल जाती हो कि मैं राजा बाद में हूं और इंसान उससे पहले हूं। इंसान के नाते इंसानियत मेरा पहला धर्म है।’ ऐसी इंसानियत जिनमें कूट-कूट कर भरी थी, वह थे जम्मू कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह।
जय गुरूजी.

In English:

(King day and wandered at night to see that no officer was not torturing people, not a sad or a robber is not moving. On one such night, walking along the river rose. There, he saw a young man is lying. Went unto the king, "Who are you?" The young man is disturbed by a stranger on the horse this late. Then he said, 'I am the son of Lakshmi. I am going to take my wife. High fever went up on me so that I could not walk a step. Overnight will be able to run in the morning, then take a rest. "The king put his hand on his forehead, so really it was tenacity. King said, "If the cold day, is not right to stay here alone. What you do come with me, I would like to deliver. "Incognito king, so the young man could not recognize them. He hesitated a little, do not hesitate to recommend the king took him seated and said, "You're sick, sit on the horse. I have walked along holding the bridle of the horse. "By supporting the young man was sitting on the horse. On the way, he has learned that he is the son of Lakshmi, who worked in the palace. Kings stormed the house of Lakshmi. He gave voice to knock the door Lakshmi. Lakshmi, who opened the door and saw the scene, he could not believe his eyes. He immediately fell to the feet of the king and began to apologize. King said, "Look, Lakshmi, why you forget that I am the king and I am a human being before. As a human being, humanity is my first religion. "Such pseudo-code to which humanity had taken, he was Maharaja Pratap Singh of Jammu and Kashmir.
Jai Guruji.

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