Thursday, April 14, 2016

परमात्मा की प्राप्ति ..(Receipt of divine ..)


Image result for spirituality

बड़े आश्चर्य की बात है कि आज अनेक व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त करना चाहते हैं। दिन-रात इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि वे परमात्मा को प्राप्त कर लें। वे इसके लिए पूजा-अर्चना, हवन, पाठ आदि माध्यमों का सहारा लेते हैं, लेकिन सही मायने में वे परमात्मा को पाने का प्रयास करते ही नहीं हैं। ये तमाम बातें तो एक परंपरा के तहत चली आ रही हैं। सभी लोग उन्हीं बातों में लगे हुए हैं, लेकिन वे कोई सकारात्मक प्रयास नहीं करते। अगर किसी व्यक्ति को परमात्मा को प्राप्त करना है तो उसे स्वयं ही प्रयास करना होगा। दुनिया में आज तक कोई ऐसा गुरु नहीं हुआ है जो आपके बदले में तपस्या कर ले और उसका फल आपको प्राप्त हो जाए। तमाम गुरु हमें मार्ग बताने वाले हैं। वे हमारे बदले में कार्य करने में समर्थ नहीं हैं। अगर कोई व्यक्ति देश के किसी मंत्री को अपने घर पर आमंत्रित करना चाहता है तो उसे स्वयं ही उनकी आव-भगत, उनके बैठने, ठहरने का इंतजाम करना होगा। कोई व्यक्ति किसी महापुरुष को जिस भाव से आमंत्रित करता है, उसे उसका फल भी उसी भावानुरूप मिलता है। कुछ लोग दूसरों की देखा-देखी किसी को आमंत्रित कर लेते हैं, लेकिन आमंत्रित व्यक्ति के पहुंचने पर बेमन से उसकी आवभगत करते हैं और सोचते हैं कि जल्दी से उससे मुक्ति मिले। जो लोग हृदय से आमंत्रित करते हैं तो उन दोनों लोगों के हृदय का मिलन होता है। परमात्मा को हृदय से पुकारें वह आपको जरूर मिलेगा। आज हममें से ज्यादातर लोग घर-परिवार में भी बाहर से हार्दिक मिलन तो अंदर से हार्दिक जलन जैसा भाव रखते हैं। अब जरा सोचिए परमात्मा की प्राप्ति कैसे संभव है। हृदय तो एक मंदिर है, जिसे जितना पवित्र रखेंगे इसमें उतने ही पवित्र भाव और विचार आएंगे। आप परमात्मा के करीब होंगे। यदि आप निर्मल मन से परमात्म प्राप्ति की राह पर दो कदम चलते हैं तो यह निश्चित मानिए कि ऊपरवाला पहले से अपनी बांहें संपूर्णता की ओर फैलाए अपनी गोद में बैठाने के लिए तैयार है। ध्यान रखें, यदि कोई आपकी एक गलती जान जाए तो आपसे हमेशा के लिए नफरत करने लगता है, लेकिन वह परमपिता जो हमारी हजारों कमियां जानता है, फिर भी वह हमें प्यार करता है। जरा सोचिए क्या वह हमें प्राप्त नहीं है।
जय गुरुजी. 

In English:

(Surprising that today many people want to get to the divine. Day and night that they are engaged in the effort to obtain the divine. They prayed for it, fire, text, and make use of mediums, but truly they are not trying to get God. All these have been handed down under a tradition. All those engaged in the same things, but they do not have any positive effort. If a person is God himself will strive to achieve. In the world today there is no such master penance and take your turn to receive his fruit. Many gurus are telling us the way. They are not able to act on our behalf. If a person wants to invite over to your house to a Minister of the country, if necessary, their own complicity, their seating, which would have to be. A master of the sense in which a man invites him In the spirit is the interpretation thereof. Some people are able to invite others see-saw, but the arrival of invitees reluctantly assuming his hospitality and got rid of him quickly. Those who invite from the heart of the heart of both of them meet. You must get it from the heart to the divine call. Today most of us inside the house with family from out of the deep union as heartfelt expressions are jealous. Now just imagine how it is possible the realization of the divine. The heart is a temple which is as holy as the holy spirit and ideas will come. You will be closer to God. If you go two steps on the road to achieving the vision of serene mind, it certainly assume that the uppermost already stretched his arms towards perfection is ready to sit on his lap. Keep in mind, if you make a mistake when life seems to hate you forever, but the Father who knows our huge drawbacks, yet he loves us. Just think what he has received.)
Jai Guruji.

No comments: