भविष्य का तनाव ही पीड़ा है। और भविष्य की चिंता छोड़ने का एक ही उपाय है। अगर आप इस बात को मानने को राजी हो जाएं कि भविष्य अपरिहार्य है, नियत है, जो होना है होगा। जो होना है होगा, अगर इसके लिए राजी हो जाएं, तो फिर आपको करने को कुछ नहीं बचता। तो बेचैन होने का कोई कारण नहीं है।
करने को कुछ है, तो फिर बेचैनी है। करने के पहले भी बेचैनी रहेगी और करने के बाद भी बेचैनी रहेगी। क्योंकि करने के बाद भी लगेगा कि अगर जरा ऐसा कर लिया होता, तो परिणाम दूसरा हो सकता था। मैंने ऐसा कर लिया होता, तो ऐसा हो सकता था। तो आप पीछे भी परेशान रहेंगे कि अगर ऐसा न करके जरा-सा फर्क किया होता, तो आज जिंदगी दूसरी होती। भविष्य के लिए भी परेशान रहेंगे कि मैं क्या करूं?
आदमी कुछ ऐसा है कि वह सफल कभी होता ही नहीं। उसके मन का ढांचा ऐसा है कि वह सदा अंत में असफल ही होता है। जितने आप सफल हो जाते हैं, वह तो व्यर्थ हो जाती है बात और नए लक्ष्य निर्मित हो जाते हैं। एक आदमी को दस हजार रुपए कमाने हैं, वह कमा लेता है। दस हजार रुपए कमा लेना मुश्किल मामला नहीं है। कमा लेता है, सफल हो गया। लेकिन उसे पता ही नहीं कि सफलता की खुशी वह कभी नहीं मना पाता। क्योंकि जब तक दस हजार इकट्ठे कर पाता है, तब तक उसकी आकांक्षा लाख की हो जाती है। उसे लाख कमाने हैं। ऐसा भी नहीं है कि लाख न कमा ले। वह भी हो जाएगा। लेकिन जिस मन ने दस हजार से लाख पर यात्रा पहुंचा दी थी, वही मन लाख से दस लाख पर यात्रा पहुंचा देगा।
हर आदमी असफल मरता है। कोई आदमी सफल नहीं मर सकता। क्योंकि जो भी आप पा लेते हैं, आपकी वासना उससे आगे चली जाती है। मरते वक्त भी आपकी वासना अधूरी ही रहेगी। आप जितना पा लेंगे, उससे ज्यादा का लक्ष्य बना लेंगे। आखिरकार असंतुष्ट ही रहेंगे। एंड्रू कार्नेगी, अमेरिका का सबसे बड़ा धनपति मरा, तो अपने पीछे दस अरब रुपए छोड़ गया। लेकिन मरने के दो दिन पहले का उसका वक्तव्य है कि मैं एक असफल आदमी हूं, क्योंकि मेरे इरादे सौ अरब रुपए छोड़ने के थे, केवल दस अरब छोड़ जा रहा हूं।
आप कितना पा लेंगे, इससे कोई संबंध नहीं है। आपका मन उससे ज्यादा की मांग करेगा। मन सदा आपसे आगे चला जाता है।
आप होते हैं वर्तमान में, मन भविष्य में चला जाता है। मैं कुछ कर ही नहीं सकता हूं, तो भविष्य में यात्रा करने का कोई उपाय नहीं है। दस रुपए मिलें, कि दस लाख, कि कुछ भी न मिले, मैं भिखारी रह जाऊं, जो भी होगा, वह होगा। उसमें मेरा कोई हाथ नहीं है। ऐसा आदमी कभी असफल नहीं होता।
जय गुरूजी.
In English:
(Future stress is hurting. And concern for the future is the only way to leave. If you're ready to accept the fact that the future is inevitable, due, which would have to be. What has to happen will happen, if it agreed to go, then you left with nothing to do. So there is no reason to be nervous.
To do something, then the discomfort. Before and after the discomfort will be discomfort. Because after that it will be just so happens, the result could have been different. I would have done so, it could have been. Behind that you will be too upset if it does not have the slightest bit of difference, so today is the second life. What can I do that would be too disturbing for the future?
Man is something that never happens successful. The structure of his mind so that he is always bound to fail in the end. The more you become successful, he will become useless thing and leads to the generation of new targets. Making a man ten thousand rupees, it earns. Ten thousand rupees is not difficult to make. Earns, succeeded. But she does not know the joy of success, he would never refuse. Because while it is unable to gather ten thousand, then becomes his aspiration million. Would earn him millions. It is not not take to earn that million. He will be too. But the trip came to mind was ten thousand million, million, million of the same mind on the trip will bring.
Every man dies unsuccessful. A successful man can not die. Because whatever you attain your desire goes beyond. Time of death, your desire will be incomplete. You'll get much more than what will make the goal. After all remain unsatisfied. Andrew Carnegie, America's largest rich man died, it left behind a ten billion rupees. But two days before the death of his statement that I am a loser, because my intention was to leave the hundred billion rupees, only ten billion'm going to leave.
How much you'll get, it has no connection. Your mind will seek more. The mind always goes ahead of you.
Are you currently, the mind goes in the future. I can not do anything, then there is no way to go in future. Meet ten rupees, ten million, that had nothing, I shall be a beggar, whatever will be, will be. I have no hand in it. This man would never fail.)
Jai Guruji.
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