सिद्धार्थ के जन्म के समय राज ज्योतिषियों ने बताया- यह बालक महान विभूति बनेगा। पराक्रमी सम्राट बनेगा या महान वैरागी बनकर शाश्वत मार्ग दिखाएगा। माता प्रजावती ने उनका पालन-पोषण किया और ऐसी व्यवस्था की कि सांसारिक दुखों का उन पर जरा भी प्रभाव न पड़े, परंतु वैराग्य का बीज तो उनके मन में बचपन से ही था। अनेक साधु-संतों के प्रवचन सुनकर उन्होंने तपस्या करने का विचार बना लिया। तपस्या से उनका शरीर क्षीण होने लगा। उसी बीच एक महिला पुत्र प्राप्ति की खुशी में जंगल के देवता को खीर खिलाने आई। उसने सिद्धार्थ को श्रद्धापूर्वक खीर खिलाई। इससे उनमें चेतना का संचार हुआ। वह फिर तपस्या के लिए बैठ गए।
साथ के पांच साधु उनकी समाधि भंग समझ उन्हें छोड़कर चले गए। उनकी समाधि पूर्ण हुई, परिणामस्वरूप उन्हें परम प्रकाश का अनुभव हुआ। फिर गौतम ने उन पांच साधुओं को तलाशा जो उन्हें छोड़ गए थे। गौतम ने कहा - ‘साधुओ, खीर खाकर मैंने कठोर तपस्या का त्याग अवश्य किया, मगर मैं भोगी नहीं बना। मैंने मध्य मार्ग अपनाया। सत्य की प्राप्ति न तो भोग से है न ही शरीर को कष्ट देने में, अतः मध्य मार्ग को पहचानें। मनुष्य सत्य की खोज के लिए स्वतंत्र है। अनुभूति ही धर्म का आधार है। भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों में बोल-चाल की भाषा का उपयोग किया। उनके शिष्यों ने ही उनके उपदेशों को संकलित किया। भगवान बुद्ध के उपदेशों से साधु-संतों में खलबली मच गई। उनके द्वारा प्रवर्तित धर्म बौद्ध धर्म कहलाया। वाराणसी से कुछ दूर सारनाथ उन्हीं के कारण बौद्धों के लिए पवित्र स्थान बन गया। उन्होंने कहा- ‘भिक्षुओ, अब तुम संसार में फैल जाओ और धर्म-चक्र का प्रवर्तन करते हुए मानव जाति का कल्याण करो।
सारनाथ से लौटकर वह गया पहुंचे, जहां उन्हें ज्ञान का प्रकाश मिला। उन्होंने राजा बिंबिसार को अपना शिष्य बनाया। इसके बाद श्रावस्ती पहुंचे, जैतवन में रहकर उपदेश दिए। वैशाली की आम्रपाली की कथा भी प्रसिद्ध है।
महात्मा बुद्ध ने जिस संघ की स्थापना की थी, उनके नियम अत्यधिक कठोर थे। उनका पालन वही कर सकते थे जो सांसारिक बंधनों से ऊपर उठ चुके थे। महात्मा बुद्ध के शिष्यों की संख्या बढ़ती गई। अंतिम दिनों में उन्होंने शिष्यों से कहा - तीन माह में शरीर त्याग दूंगा। शिष्य रोने लगे, तब उन्होंने कहा कि इस शरीर के लिए क्या रोना? तथागत का कार्य पूरा हो चुका है। उनके अंतिम शब्द थे - ‘सभी वस्तुएं नश्वर हैं, प्रयत्न करके अपना उद्धार करो।’ वैशाख पूर्णिमा के ही दिन उन्होंने शरीर त्यागा था।
बुद्धा पूर्णिमा पर आप सभी अहिंसा के पुजारी दोस्तों को देश में और विदेश में हार्दिक शुभकामनायें।
जय गुरूजी
In English:
(Siddharth Raj birth astrologers told the boy would be great figure. The mighty emperor eternal route will or will become legendary recluse. Prajawati mother raised him and that such arrangements do not impact at all on those of worldly sorrows, but the seeds of quietude was on his mind since childhood. Many saints when he heard the sermon made the idea of penance. His body began to impair austerity. The same day, a woman in joy Son was feeding milk to the god of the forest. He devoutly to Siddhartha feed milkshake. The arrival of consciousness in them. He then sat down for penance.
The five monk with them to understand their grave breach left. His mausoleum was completed, resulting in the ultimate light experience. Then Gautam sought the five monks who had left them. Gautam said - 'Saint, eating rice pudding I must abandon the harsh austerity, but I did not come up. I have adopted a middle path. The realization of truth is neither indulgence nor to hurt the body, therefore Identify tightrope. Man is free to discover the truth. Cognition is the basis of religion. Lord Buddha in his teachings used slang. His teachings compiled by his disciples. Lord Buddha's teachings saints were in a tizzy. He promoted religion called Buddhism. Only a few blocks from Varanasi Sarnath became a holy place for the Buddhists. He said, '*Bhikshuo, now you go in the world, and religion-cycle operation of spreading the welfare of the human race up.
He arrived back from Sarnath, where they found the light of knowledge. King Bimbisara He made his disciple. Then came Sravasti, in Jatwn preached tirelessly. Vaishali is also famous for the legend of Amrapali.
The association was founded by Lord Buddha, his rule was harsh. He could follow the same had to rise above the mundane bonds. Buddha's disciples were on the rise. In the last days of his disciples said - will abandon the body in three months. Disciple wept when he cry for the body? Tathagata has been completed. His last words were - 'All things are mortal, do of their own salvation. "Cornered the full moon day, they had given up the body.
Buddha Purnima priest friends of all the non-violence in the country and abroad heartfelt good luck.)
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*Bhikshuo - Beggars
Jai Guruji.
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