एक कार्यक्रम में एक सज्जन लक्ष्य निर्धारण और उसकी प्राप्ति के लिए कुछ क्रियाएं करवा रहे थे। लोग एक-एक करके आते और गले से हू-हा जैसी जोर की आवाज निकालते हुए वहां रखी हुई ईंटों और टाइलों पर जोर से प्रहार करते। इस प्रक्रिया में सभी अपनी पूरी ताकत एक साथ लगा रहे थे और ईंटें तोड़ने में सफल हो रहे थे।
मतलब यही था कि यदि हम पूरी तरह से एकाग्र होकर अपनी सारी ऊर्जा किसी कार्य में लगा देते हैं तो सफलता अवश्य मिलेगी। मुश्किल से मुश्किल काम हम आसानी से कर सकेंगे। यह ठीक है कि हम जिस बिंदु पर पूरा ध्यान केंद्रित करेंगे, वहीं हमारी सारी ऊर्जा भी एकाग्र होकर काम करने लगेगी। बिल्कुल वैसे ही जैसे कोई गड्ढा खोदने पर आसपास का सारा पानी उसमें आकर इकट्ठा हो जाता है।
कार्यक्रम के बीच मैंने प्रश्न किया - ‘जहां तक मेरा अनुभव है लक्ष्य निर्धारण और उसकी प्राप्ति के लिए मन की गहरी अवस्था अपेक्षित है और वह भी एल्फा अवस्था में और टेन साइकिल्स पर सैकेंड पर।
फिर इतने शोर की अवस्था अर्थात बीटा लेवल से भी ऊपर की अवस्था में यह कैसे संभव है?’ उन्होंने उत्तर देने में असमर्थता प्रकट की और मुझसे ही इस प्रश्न का उत्तर देने को कहा। लेकिन उस दिन मुझे स्वयं इसका उत्तर पता नहीं था।
कुछ समय बाद वही सज्जन कुछ स्कूली बच्चों को लेकर लक्ष्य निर्धारण और उसकी प्राप्ति के लिए फायर वॉक करवा रहे थे। इसमें कुछ बच्चों के पैरों के तलवे जल गए और इस घटना पर काफी हो-हल्ला भी मचा और शांत हो गया। पर मेरे मन में द्वंद्व बढ़ गया। मैं इसका कारण जानने के लिए बेचैन हो उठा। इस घटना के कुछ दिनों
बाद एक दिन मेरा एक मंदिर में जाना हुआ। वहां बहुत भीड़ थी। लाइन आगे सरकने का नाम ही नहीं ले रही थी। कुछ उत्साही श्रद्धालुओं ने जोर से कहना शुरू कर दिया- बोलो शेरों वाली माता की....तभी वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने तुरंत श्रद्धालुओं को ऐसा करने से रोक दिया।
मैंने अनुभव किया कि नारा लगाते ही भीड़ में एक उत्तेजना आ गई थी। सभी को अपना लक्ष्य दिखलाई देने लगा और वो था मुख्य स्थल पर पहुंचकर मूर्ति के दर्शन करना। ऐसे में अक्सर भगदड़ मच जाती है और कमजोर लोग, महिलाएं व निर्दोष बच्चे मारे जाते हैं। विरोधस्वरूप नारे लगाती भीड़ भी विध्वंसक हो जाती है। असल में आक्रोश में सही निर्णय करना संभव ही नहीं। तब हम अपने विवेक का इस्तेमाल करने की क्षमता ही खो बैठते हैं। हां, शांत और स्थिर अवस्था में हमारा अचेतन मन इस योग्य अवश्य हो जाता है कि वह सही संकल्पों का चुनाव करके उन्हें पूरा कर सके। इसलिए हमें शांत होकर अपने लक्ष्य तक पहुचना चाहिए।
जय गुरुजी.
In English:
(Targeting a gentleman in a program and its realization were getting some actions. People come and embrace by one loud noise like Hoo-ha removing the bricks and tiles laid emphasis on attack. In the process, putting together all my strength and was able to break bricks.
That means that if we concentrate fully and put all your energy into a task so success will come. Easily the most difficult tasks we
Be able to. This is exactly the point we will focus on the whole, but also concentrate all our energy and go to work. At a puddling exactly as it came around to collect all the water gets.
I queried the program - "As far as my experience Targeting and deep state of mind required for its realization and in the alpha stage and the second at ten Cycles.
Then, above the noise level of the state, namely the state of beta How is it possible? "He expressed his inability to answer and asked me to answer this question. But that day I did not know the answer myself.
After a while, the gentleman with some schoolchildren Fire Walk for targeting and its realization were done. It burned the soles of the feet of children and making a huge outcry over the incident and was quiet. Increased conflict in my mind. I became desperate to know why. A few days of the event
One day I happened to be in the temple. There was very crowded. Not only was the name of the line to move forward. Say gave enthusiastic devotees started to say something out loud roar .... if there's a mother to do the devotees immediately stopped by police deployed.
I have experienced the excitement of the crowd that came slogans. And that his goal was to appear all felt rushed to the site to see the statue. Such is often panicked and vulnerable people, women and innocent children are killed. protest slogans spray crowd is destructive. Making the right decision in fact not possible in indignation. Then we lose the ability to use its discretion. Yes, calm and steady state is our unconscious mind that it must be the right choice of resolutions, to meet them. So we should be calm and Rising to his goal.)
Jai Guruji.
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