नेपाल और बिहार में आए भूकंप से हुई तबाही के ब्यौरे धीरे-धीरे सामने आएंगे। ठीक उसी तरह, जैसे गुजरात में हुआ था। और गुजरात तो एक सीधी-सपाट जगह है, फिर भी टीवी कैमरों को अहमदाबाद और गांधीनगर से निकल कर भुज तक पहुंचने में कई दिन लग गए थे। नेपाल का मामला बिल्कुल अलग है। रास्ते तबाह हो जाने के बाद अगल-बगल के दो गांवों के बीच भी आवाजाही ठप हो जाती है। नेपाल और उत्तराखंड के बीचोबीच से गुजरती हुई लगभग गोलाकार रेखा को हमेशा से भूकंपों का गढ़ बताया जाता रहा है। दरअसल, यूरेशिया और भारत को अपने ऊपर धारण करने वाली टेक्टॉनिक प्लेटें इसी रेखा के आसपास एक-दूसरे से जुड़ती हैं। भूगर्भशास्त्री बताते हैं कि भारतीय प्लेट यूरेशियाई प्लेट को साढ़े चार सेंटीमीटर सालाना की रफ्तार से दबा रही है। यहां कोई बड़ा भूकंप तब आता है, जब दबाव बेकाबू हो जाता है और यूरेशियाई प्लेट को दरेरा देती हुई भारतीय प्लेट उसके नीचे सरक जाती है। आश्चर्य है कि इतनी भयानक स्थिति के बावजूद नेपाल में बड़े भूकंप बहुत कम आते हैं। अभी, यानी 25 अप्रैल 2015 वाले भूकंप की टक्कर का कोई मामला 81 साल पहले 15 जनवरी 1934 में ही हुआ था, जिसने काठमांडू
घाटी और उत्तरी बिहार को लगभग पूरा ही तबाह कर दिया था।
उस भूकंप के जो ब्यौरे मिलते हैं, उनसे दुनिया के किसी भी भूकंप की तुलना करना कठिन है। बिहार और नेपाल में तीन सौ किलोमीटर लंबे तराई क्षेत्र को उसने दलदल में बदल दिया था। जगह-जगह पानी के फव्वारे फूट पड़े थे। रेत इतनी ऊपर तक आ गई थी कि ज्यादातर तालाब-कुएं सिरे से काम लायक नहीं रह गए थे। मरने वालों का आंकड़ा भी दोनों देशों को मिलाकर 20 हजार के आसपास था। जाहिर है, भूकंप के प्रभाव सिर्फ उसकी तीव्रता पर नहीं, जमीन में भूकंप केंद्र की गहराई और ऊपरी सतह की मजबूती के अलावा इंसानी निर्माण की गुणवत्ता पर भी निर्भर करते हैं। बीती 15 फरवरी को बेंगलुरू के भूकंप शास्त्रियों ने उत्तराखंड में अपनी जांच-पड़ताल के बाद इस क्षेत्र में जल्द ही एक बड़ा भूकंप आने की भविष्यवाणी की थी। संभव है, नेपाल के भूकंप से यह आपदा लंबे समय के लिए टल गई हो। इस दुःख की घड़ी में पूरी दुनिया एक साथ खड़ी है, और सहयोग कर रही है. भारत सरकार सहयोग में सबसे आगे है, और वे धन्यवाद के पात्र है. आज जरूरत है लोग जाती धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा करे और जरूरत वालो को सहयोग करे. यही सच्ची पूजा है, वास्तविक धर्म है. भूकंप में मारे गए सभी लोगो को भावभीनी श्रद्धांजलि। ईश्वर इनके परिवार को दुःख सहने की शक्ति दे.
जय गुरुजी.
In English:
(The details of the devastation caused by the earthquake in Nepal and Bihar will come slowly. Just as had happened in Gujarat. Gujarat is a straight-forward, even TV cameras out of Ahmedabad and Gandhinagar Bhuj took several days to reach. Nepal's case is quite different. After being devastated path between two villages of sideways movement is stalled. Nepal and Uttarakhand, nearly spherical line passing through the center of the citadel of earthquakes have always been told. Indeed, Eurasia and India to hold up the line around the Tectonic plates are touching one another. Geologists show that the Indian plate with the Eurasian plate is pressed at a speed of four centimeters a year. There are no major earthquake occurs when the pressure becomes uncontrollable and the Eurasian plate beneath the Indian plate moves have been made Drera. Despite the surprise that such a terrible situation in Nepal, large earthquakes are not frequent. Right now, no case of collision of the April 25, 2015 earthquake in January 1934, were 81, 15 years ago, the Kathmandu Valley and northern Bihar, was almost entirely destroyed. See the details of the earthquake, the earthquake is difficult to compare them anywhere in the world. Bihar and three hundred kilometers long Terai region in Nepal, he had turned into a swamp. Be divided against water fountains were everywhere. There was sand up so that most pond-wells were not worth the job. The death toll figure of the two countries together was around 20 thousand. Obviously, the impact of the earthquake on just his intensity, depth of focus and the surface strength of the earthquake in the ground than the human depend on the quality of construction. Wednesday February 15 in Bangalore, Uttarakhand Earthquake scribes investigation after a major earthquake in the region soon had predicted. It is possible, Nepal earthquake disaster it has been long delayed. The whole world stood as one in times of sorrow, and is cooperating. India is at the forefront of cooperation, and they deserve thanks. People need to rise above religion today is to serve humanity and the need to cooperate to members needed. That is the true worship, the true religion. Tribute to all the people killed in the earthquake. God give strength to his family to endure.)
Jai Guruji.
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