Monday, January 12, 2015

नफरत की जगह प्रेम व करुणा को लेकर आगे क्यों नहीं बढ़ते ..



लोग पूछते हैं कि दुनिया में हो रही इतनी हत्याएं और बलात्कार देखकर क्रोध आता है। इसे कैसे सहन करें? यह सहन करने का सवाल नहीं है। अगर आप सहन करेंगे तो आप पागल हो जाएंगे। आपको सहने की जरूरत नहीं है। इसमें जो उचित हो वो आप कर सकते हैं। जो हो चुका, आप उसे पलट नहीं सकते। तो क्या आपको अपराध होने देना चाहिए? नहीं, आप हर वह काम कीजिए जो उन चीजों को होने से रोकने में मदद कर सकता है। लेकिन आप सभी चीजों को नहीं बदल सकते। कोई अंतर नहीं कि आप कैसे इंसान हैं, अगर आप सुपरमैन भी हैं, तो भी बाहरी दुनिया की चीजों पर आपका पूरा नियंत्रण संभव नहीं हो पाएगा। लेकिन भीतरी परिस्थितियों पर आपका पूरा काबू हो सकता है। ऐसा हमेशा संभव है। अब कुछ वजहों से बाहरी चीजें काबू से बाहर जा चुकी हैं। 

लोग हत्याएं कर रहे हैं, बलात्कार कर रहे हैं और भी तमाम तरह के अपराधों में लगे हैं। ऐसे में क्या यह ठीक नहीं होगा कि आप अपने अंदर की चीजों को काबू में रखें, मान लीजिए, कोई पागल हो चुका है और उस तरह के कामों में लगा है। अगर आप भी उस इंसान के प्रति नफरत और गुस्से से पागल हो गए तो आपमें और उसमें क्या फर्क रह गया इसका यह मतलब नहीं है कि इस हालात में आपको कुछ करना ही नहीं चाहिए। जो करना है, आप करें, लेकिन याद रखें नफरत और गुस्से से भरकर आप जो भी करेंगे, उसका कोई महत्व नहीं होगा।

दुर्भाग्य से ज्यादातर लोगों के लिए डर, गुस्सा और नफरत उनके जीवन में सबसे गजब के अनुभव हैं। उनका प्रेम, शांति और आनंद कभी इतना गहरा नहीं होता। वे नकारात्मक परिस्थितियों में शक्ति का अनुभव करते हैं। जैसे आप गुस्से में ताकत महसूस करते हैं, उसी तरह एक बलात्कारी वासना में शक्ति का अनुभव करता है। यह सबसे शक्तिशाली परिस्थिति होती है, जो वह अपने जीवन में अनुभव करता है। 

यह वह स्थिति है जिसमें वह शारीरिक रूप से दूसरे पर हावी हो जाता है। इसी कारण वह ऐसा कर रहा है, और यही आप पर भी लागू होता है जब आप गुस्से में आकर कुछ करते हैं। बिना गुस्सा किए आपमें कुछ करने की शक्ति नहीं आती। वह आपसे अलग नहीं है, बस काम अलग हैं। 

अगर अपनी भावनाओं की क्रूर और असभ्य प्रतिक्रियाओं में फंस गए तो आप न्याय नहीं कर पाएंगे। बस एक बुराई को दूसरी बुराई से काटते रह जाएंगे। यह कोई हल नहीं है।

 जब आप विवेक से काम करते हैं, तभी हल निकलता है। आप नफरत की जगह प्रेम व करुणा को लेकर आगे क्यों नहीं बढ़ते

Jai Guruji.

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