Tuesday, November 4, 2014

खुद को समाज के लिए प्रस्तुत करना ही मुहर्रम का पैगाम है .....



दुनिया भर के लोग अपनी अपनी मान्यताओं धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक परिवेश के आधार पर नया साल बड़ी घूमघाम से मनाते हैं। लेकिन इस्लाम के मानने वाले मुस्लिम इस्लामी नव वर्ष इस प्रकार नहीं मनाते। दरअसल, इस्लामी कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना मुहर्रम का होता है। माहे मुहर्रम मतलब दुख का महीना। शहीदों की याद का महीना। शहीदों को नमन करने का महीना। कर्बला में शहीद उन बेगुनाह, मजलूमों, मासूमों को याद करने का दिन जिनका बड़ी बेरहमी से एक एक कर के कत्ल कर दिया गया था। इनमें बुजुर्ग, महिलाएं और मासूम बच्चे भी शामिल थे। उनका कसूर बस इतना ही था कि वे अपने जीने के लिए नैसर्गिक प्राकृतिक संसाधनों की मांग कर रहे थे। वे अपने समाज की बेहतरी के लिए तानाशाही और सामंतवादी ताकतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। इस आंदोलन का नेतृत्व हजरत हसन और हजरत हुसैन कर रहे थे जो हजरत अली, हजरत फातिमा के बेटे और हजरत पैगंबर मौहम्मद इस्लाम के संस्थापक के नवासे थे। कुछ इतिहासकार इसे इस्लाम का व्यक्तिगत संघर्ष और खलीफाई संघर्ष का नाम देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह संघर्ष एक पूरी कौम, एक पूरे समाज और व्यक्ति के जीने की जददोजहद का संघर्ष था जिसने पूरे विश्व और समाज की दिशा व दशा तय की। इस्लाम में इस शहादत को इतना सम्मान दिया गया कि एक दिन नहीं, पूरा एक महीना इन शहीदों को समर्पित कर दिया। यह महीना वर्ष का पहला महीना था। वैसे तो मुहर्रम माह की 10 तारीख विशेष रूप से उल्लेखनीय है, इस दिन कुछ लोग ताजियों के साथ जुलूस निकालते हैं, कुछ लोग होते हैं जो अपने आप को प्रताड़ित करते चलते हैं। कुछ लोग शर्बत के प्याउ लगाकर अपनी अकीदत का इजहार करते हैं। इस्लाम में पानी पिलाना पुण्य का काम माना जाता है। असल में यह शहादत पानी या प्रंाकृतिक संसाधन के लिए भी थी। रातों को जागकर मर्सिया गा गा कर इन शहीदों की दुख भरी दास्तानें सुनाकर भी अकीदत पेश की जाती है। आम मुस्लिम अपना वक्त इबादत में भी लगाते हैं। रातों को जाग कर नफली नमाजों की भी अदायगी मुहर्रम के महीने को और खास बना देती है। मजहबी अकीदत के साथ मुहर्रम इस बात की भी पेशगई करता है कि अपने अधिकारों की कैसे रक्षा की जाए। इससे पहले अपने फर्ज की अदायगी ही इस्लाम की पहली शिक्षा है। खुद को समाज के लिए प्रस्तुत करना ही इस इबादती महीने का असली पैगाम है।

(MAJHAB NAHI SIKHATA AAPAS ME VAIR KAKHANA)

JaiGguruji.

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