Sunday, June 5, 2016

असहमति का अर्थ हर हाल में विरोध, शत्रुता या वैमनस्य नहीं ..((In any disagreement means Opposition, hostility or enmity not ..)


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समाज और बिरादरी में उस परिवार के पिता-पुत्र के मेलजोल और सौहार्दपूर्ण संबंधों की मिसालें कही-सुनी जाती थीं। तभी अचानक एक मोड़ आ गया। नए बन रहे मकान में किचिन का द्वार किस दिशा में हो, और कमरे व पूजाघर किस आकार के, इन बातों पर बुजुर्ग पिता-बेटे में ठन गई। पिता वास्तु के हिसाब से निर्माण चाहते थे, बेटे की निगाहें सुविधा और स्पेस के किफायती इस्तेमाल पर थीं। दोनों अपनी-अपनी जगह ठीक थे। कोई पक्ष दूसरे को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता, यह हर कोई ठोक कर कहता। तो भी दोनों के बीच पसरे विवाद को सुलझने व पहले जैसा प्यार भरा वातावरण बनने में महीना लग गया।

असहमति का अर्थ अनिवार्यतः विरोध, शत्रुता या वैमनस्य नहीं है। आपके विचार या कृत्य का विरोध करते परिजन के भाव को समझें। क्या विरोध करना उसका स्वभाव है, जिस वजह से विरोध है उस क्षेत्र में सामने वाले की पैठ नहीं है, क्या विरोध से उसका निजी स्वार्थ सिद्ध होता है? यह भी विचारें, जब आप दूसरे की राय खारिज कर अपनी ही करते हैं, तब क्या वे आपको प्रश्रय देना बंद कर देते हैं? विरोध करने वाले से वैमनस्य या उससे संवाद तोड़ना संकीर्ण सोच का परिचायक है।

आलोचना यदि बेतुकी या कदाशयता से प्रेरित है तो बगैर उसमें उलझे, उसे तुरत खारिज कर दें ताकि ऊर्जा निरर्थक कार्य में नष्ट न हो। पते की आलोचना फीडबैक बन कर हमारी सोच, व्यवहार और कार्य को निखारती है। खुशहाली और तरक्की की राह में मतांतर स्वाभाविक हैं बशर्ते उसके पीछे सदाशयता हो। फिजी के पूर्व राष्ट्रपति जोसेफा इलोइलो के अनुसार विकास की सुखद अवस्था वह होती है जब मतांतर और विविधताएं विभाजन और अविश्वास का नहीं बल्कि सशक्तता और प्रेरणा का स्रोत बनें। 

खुशामदी और प्रशंसकों के घेरे में रहते वे अभागे हैं जो स्वयं को परिपूर्ण मानते हुए टीका-टिप्पणी नहीं सह पाते। वे नहीं सुधरेंगे क्योंकि उन्होंने बेहतरी का मार्ग ठप कर दिया है। राजनीति और नौकरशाही में ऐसों का वर्चस्व है जिनका चलना-फिरना, बोलना, सब कुछ वाहवाही करते चाटुकारों बगैर दुष्कर होता है। बड़ा-सा खोल पहने, विरोध सहने में अक्षम व्यक्ति भीतर खोखला होता है, उसकी सोच में भावों-विचारों की उन्मुक्त अभिव्यक्ति को स्थान नहीं।

स्वतंत्र सोच वालों को टोकने, झकझोरने वाले चाहिए। प्लूटार्क ने कहा,‘मुझे वह नहीं चाहिए जो मेरे साथ बदले। मैं मुंडी हिलाऊं तो वह भी हिलाए, ऐसा मेरी परछाई बखूबी करती है।’ विकसित वही होगा जो मतांतर का स्वागत करे। प्रतिमाएं और स्मारक महापुरुषों की स्मृति में ही नहीं, कापुरुषों और विरोधियों की भी स्थापित की जानी चाहिए, जिनकी मेहरबानी से हमने चौकस, सजग, धैर्यशील बनना सीखा।

जय गुरूजी. 

In English:

(Society and the community of the family, father and son were Quotable quotes examples of harmony and cordial relations. Then came a sudden turn. In the kitchen door to new houses being built in what direction, and what size room and puja room, these things were difficult in the elderly father-son. The father wanted to build architectural terms, the son's eyes were on the convenience and space efficient measures. Both were fine in their place. No offense to the other side, not to hurt, it tells everyone tapped. In settling a dispute between the two and then hung in the same month it took to become loving environment.

Disagreement necessarily mean opposition, hostility or hatred is not. Your thoughts or acts contrary to understand the sense of family. What is his nature to resist, causing the front to resist the penetration of that area did not resist his self-interest is perfected? Vicharen also, when you dismiss their own second opinion when they turn off the harbor? Who oppose the unpleasantness or narrow thinking is a reflection of the dialog break.

If criticism is motivated by irrational or without malaises entangled therein, he quickly dismissed so that energy was wasted in fruitless task. Becoming our thinking to address critical feedback, behavior and work is leverage. Divergences in the way of welfare and are inherently subject to goodwill behind him. Fiji President Josefa Iloilo, according to the stage of development when there is great division and distrust rather divergences and diversities to be sources of strength and inspiration.

They are unfortunate to live in the circle of admirers and fans who find themselves bear full Assuming comment. They would soon cool because they have blocked the way for the better. Politics and bureaucracy which dominates them, walking, speaking, everything is difficult without sycophants to applause. Wearing large shell, unable to bear against the person is hollow inside, his emotions, free expression of ideas, not the location.

Those independent thinking minders, should stirring. Plutarch said, "that I should not return to me. I Hilaun Mundi he brandished, so my shadow is very well. "It will be developed to welcome the divergences. Statues and monuments in the memory of great men, not just Kapuruson and opponents should be established, which we favor, attentive, alert, learned to be patient.)
Jai Guruji. 

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