अपने लिए हर कोई सोच लेता है, लेकिन इतिहास उन्हें ही याद करता है, जो समाज के लिए सोचते हैं। महात्मा गांधी, विनोबा भावे जैसे आदर्शवादी-प्रेरणादायक महापुरुष आज भी इसीलिए पूज्य और याद किए जाते हैं, क्योंकि इन्होंने निस्वार्थ भाव से समाजहित में अनेक कार्य किए थे। दरअसल, आप इस दुनिया में गुपचुप आए और गुपचाप ही चले गए तो समङिाए कि आपने 84 लाख योनियों के बाद मिली मनुष्य योनि को यूं ही बर्बाद कर दिया। यदि आपके जाने के बाद भी यह समाज आपके सद्कर्र्मो की वजह से आपको याद रखता है तभी आपके जीवन की सार्थकता है। खास बात यह कि समाज आपको याद रखे, इसके लिए महान कार्य करने की रूपरेखा बनाने की कोई जरूरत नहीं है। हर ग्रंथ हमें यही सिखाते हैं कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है। बस, अपने जीवनकाल में आपको इसी धर्म का अनुसरण करना है। जब आप मानव धर्म अपना लेते हैं, तो आपके द्वारा किए जाने वाले सारे काम समाज हित में ही होते हैं। भूखे को खाना खिलाना, प्यासे को पानी पिलाना, चिड़ियों को दाना देना, पेड़ लगाना, वृद्धजनों की सेवा करना आदि मानवता है और यही समाज हित भी है। मनुष्य वह है, जो अपने आसपास दुख देखे तो व्यथित हो उठे और खुशी देखे तो प्रफुल्लित हो उठे। यह बात गांठ बांध लीजिए कि अगर आपका पड़ोसी-रिश्तेदार परेशान-दुखी है और आपको इसकी कोई परवाह नहीं है तो दुखी होने का अगला नंबर आपका है। दूसरी ओर जिसके हृदय में दूसरे का हित वास करता है, उसके लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं है। खास बात यह है कि आप अपने सामथ्र्य के अनुरूप समाज हित में जितना भी योगदान दे पाएं वही श्रेष्ठ है। किसी भी व्यक्ति के योगदान को मापने का दुनिया में कोई पैमाना नहीं है। हर व्यक्ति के थोड़े-थोड़े योगदान से महान चीज का निर्माण होता है। यहां मदन मोहन मालवीय का उदाहरण लिया जा सकता है, जिन्होंने मात्र एक रुपये के दान से शुरुआत कर काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसा शिक्षण संस्थान बना दिया। आप भी अपने सामथ्र्य के अनुरूप समाज हित में जितना कर पाएं, वह करें। महात्मा गांधी ने कहा था कि निर्धन वह नहीं, जिसके पास उपयोग के साधन कम हैं, बल्कि निर्धन वह है जिसकी तृष्णा अधिक है।
जय गुरूजी.
In English:
(Everyone takes their thinking, but history remembers them, for society think. Mahatma Gandhi, Vinoba Bhave so revered today as idealistic soul-inspiring and are remembered because they selflessly Smajhit were a number of actions. Rather, you came into this world quietly and then went Gupchap Smdaiaa only after you had 84 million species of human waste was disposed. Once you have your Sdkarrmo society because it remembers you when your life is meaningful. Significantly, the society should remember you need to create a framework for it to work is not great. Each of the major texts teach us that humanity is not a religion. Just in your lifetime, you have to follow the same religion. When you adopt a human religion, then you are in the interest of all the work society. Feed the hungry, the thirsty to drink water, to feed the birds, plantation, elderly, etc. to serve humanity and the society's interests. He is a man who has seen the misery around her became so distressed and were delighted to see so swell. Let's tie the knot this miserable upset your neighbours and relatives if you do not care to be miserable for the next number. On the other hand, the interest of the other dwells in heart, for it is not rare for anything. Important thing is that you may contribute as much as their ability to conform to what is best in Social interest. Any person in the world, there is no scale to measure the contribution. Great stuff from each individual contribution is to build slightly. Look at the example of the Madan Mohan Malviya, who started with the donation of a mere Rs BHU made as educational institutions. The interest of society in line with your ability you are unable to do that. Mahatma Gandhi said that the poor do not, which means less use, but it is the poor who are craving more.)
Jai Guruji.
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