Thursday, April 23, 2015

दुःख अस्थायी होता है, खुशियाँ फिर लौट आती है. ..(Pain is temporary, Happiness returns again..)


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एक राजा ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और कहा, ‘मैं चाहता हूं कि मैं अंदर से स्थिर बना रहूं। जीवन के उतार-चढ़ाव मेरा संतुलन बिगाड़ देते हैं। तुम कोई ऐसी चीज बताओ जिससे दुख की अवस्था से गुजरते हुए मैं खुशी पा सकूं और जब मैं आनंद की अवस्था में होऊं, तो वह चीज मुझे दुखों की याद दिलाती रहे। ऐसी चीज खोजो जो मैं अपने पास रख सकूं ताकि मेरे चारों ओर कुछ भी घटता रहे, पर मैं शांत-स्थिर रह सकूं।’ सभी सलाहकार मिलकर बैठे और उन्होंने विचार-विमर्श किया। अंत में वे एक बक्सा लेकर राजा के पास गए- ‘महाराज, आप इस बक्से को खोलें।’ राजा ने उसे खोला तो उसमें एक छोटी अंगूठी मिली। उन्होंने राजा से कहा, ‘इस पर जो लिखा है, उसे पढ़ें।’ अंगूठी पर लिखा था- ‘यह समय भी बीत जाएगा।’ 

इन पांच सादे लफ्जों से राजा को बड़ी मदद मिली। हमें भी संतुलन बनाए रखने में इनसे मदद मिल सकती है। जब हम बहुत आनंद में हों, तब याद रखने की जरूरत है कि चीजें हर समय ऐसी नहीं रहेंगी और जब खुशहाल वक्त गुजर जाए तो हमें निराश या हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। हमें ये पांच सादे लफ्ज याद दिला सकते हैं कि दर्द अस्थायी है और खुशहाली फिर लौट आएगी। सभी जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। ये जीवन के अभिन्न अंग हैं। इनसे बचा नहीं जा सकता। प्रश्न यह है कि जीवन-पथ पर जब हम ऊंच-नीच का सामना करेंगे तो क्या हम मन की शांति खोकर अस्थिर हो जाना चाहेंगे? अगर हम खुद को जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे लेकिन अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में होंगे। 

इस लगातार बदलाव से अक्सर भय, तनाव और आतंक पैदा होता है क्योंकि हमें कभी यह पता नहीं होता कि आगे क्या होगा। समय के साथ, भय और तनाव की यह अवस्था हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाती है और हम शांत या तनाव रहित नहीं हो पाते। ध्यान और प्रार्थना के द्वारा हम शांत स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारे अंतर में समस्त दैवी खजाने हैं।

हम मात्र शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। आत्मा ज्योति, प्रेम और आनंद से भरपूर है। यह हर समय प्रभु से जुड़ी रहती है। सृजनात्मक शक्ति यानी प्रभु और आत्मा एक ही तत्त्व के बने हैं। अगर हम प्रतिदिन अपना कुछ समय अंतरात्मा की शांति में व्यतीत करें तो हम आनंद के एक स्थान से जुड़ जाएंगे। तब बाहरी परिस्थितियां प्रभावित नहीं करेंगी। अगली बार हमें दुख-दर्द हो तो हम याद रखें, ‘यह समय भी बीत जाएगा।’
जय गुरुजी. 

In English:

(All the king's advisers called and said, 'I want to make is that I am still in the stable. Life's ups and downs are my equilibrium. Tell you anything that I go through the stages of grief and be able to find happiness when I can assure you in a state of bliss, then the thing reminds me are suffering. To find something that I can keep my curves that are around me, but I still can stay cool. "They sat together to discuss the consultant. Finally they took the box to the newly king, "Sir, you open the box." The king opened it found that a small ring. He told the king, "it is written, read it. 'Ring wrote:" The time will pass.'

These five simple reasons of public policy helped the king. They may help us to maintain the balance. When we're in a lot of fun, then you need to keep in mind that things will not be all that happy time passes when we should not be disappointed or discouraged. These five simple remind us that the word pain is temporary and prosperity will return. The face of the ups and downs in life. They are an integral part of life. They can not be avoided. The question is on the path of life we ​​will face blip peace of mind losing if we want to become unstable? Every event that has happened to you in life we ​​will be affected by the pleasure we will reach the depths of despair to the heights of the abject state of bliss, but in the next moment will be back.

The constant changes often fear, stress and panic that arises because we do not ever know what will happen next. Over time, this state of fear and stress becomes part of our nature and we can not become calm or relax. Meditation and prayer we can get cool place. Our difference is that all the divine treasures.

We are not only the body and the mind, but we are soul. Soul light, love and enjoy all. It is attached to the Lord all the time. The creative power of the Lord and the Spirit are made the same element. If we spend your time everyday, so we enjoy peace of conscience will be enrolled in one place. The external conditions will not be affected. The next time we remember we have pain, "it will be over.")
Jai Guruji.

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