Monday, June 6, 2016

पेड़ों के आचरण से सीखकर हम संवार सकते हैं अपना जीवन ..(Learn from the behavior of trees We can shape your life..)


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हम अपने आसपास लोगों को प्रायः यह कहते हुए सुनते है कि उनके पास धन-संपत्ति, पद-प्रतिष्ठा तो है, लेकिन चित्त फिर भी अधीर और अशांत रहता है। झांककर भीतर देखने की कोशिश करें तो पाते हैं कि अंदर अविश्वास और आशंकाओं का स्याह अंधेरा छाया है। जीवन में चारों तरफ भयानक खालीपन है और समस्त सांसारिक उप्लब्धियों के बावजूद सुख की सच्ची अनुभूति नहीं हो पा रही। क्या आपने कभी यह विचार किया है कि यह चिराग तले अंधेरा जैसी स्थिति क्यों उत्पन्न होती है? संसार में इतना कुछ हासिल कर लेने के बाद भी जीवन हमें क्यों अर्थहीन लगता है? यदि इस प्रश्न को हम वृक्ष की आंतरिक संरचना से जोड़ लें तो यह उलझी हुई गुत्थी सुलझाना बहुत आसान हो जाता है। वृक्ष जीव-जगत में अकेला ऐसा जीव है जो भूतल पर, उसके ऊपर और नीचे, तीनों डाइमेंशन में विकसित होता है। वृक्ष के तने से निकली शाखाएं जितना ऊपर की ओर बढ़ती हैं, उसकी जड़ें उतनी ही नीचे जमीन में गहरी उतरती जाती हैं। उन्हीं से उसकी धरती पर पकड़ मजबूत होती है और वह अपने तने और उनसे फूटी शाखाओं, उनसे निकली हरी-भरी टहनियों, उन पर झूल रही फूल-पत्तियों और अन्य रचनाओं को स्थायित्व प्रदान करता है। ऐसे वृक्ष जिनकी जड़ें धरती में गहरी नहीं उतरी होतीं, वे हल्के से आंधी-तूफान में ही उखड़ कर धराशायी हो जाते हैं। जबकि ठोस जड़ों वाले वृक्ष आसमां से बातें करते सदियों तक सीधे खड़े रहते हैं और बड़े से बड़ा आंधी-तूफान उनका बाल-बांका नहीं कर पाता। 

वृक्ष के इस जैविक आचरण से हम जीवन में सीधी सीख ले सकते हैं। मानव जीवन में सांसारिक उप्लब्धियों का स्थान वृक्ष के प्रकट रूप-आकार के समान है। चाहे वह कितना ही आकर्षक हो, उस पर कितने ही लुभावने फूल खिले हों, कितने ही रसीले फल लदे हों, उसे सच्ची सुरक्षा, सच्चा स्थायित्व तभी मिल पाता है जब हम अपने भीतर मजबूत जड़ें विकसित कर लेने में सफल होते हैं। मानव जीवन में मजबूत जड़ें पाने के लिए हमें आध्यात्म में गहरे उतरने की जरूरत होती है। पर मोह-माया की चकाचौंध में हम जीवन के इस पक्ष की अवहेलना कर देते हैं। नतीजतन हमारे भीतर छोटी-मोटी विपत्तियों को झेलने की भी ताकत नहीं विकसित हो पाती, जरा सी आंधी आई नहीं कि हम टूटकर गिर जाते हैं। 

सच्चा सुख अध्यात्म की गहराइयों में उतर कर ही पाया जा सकता है। परमात्मा के प्रति समर्पण भाव से कर्म करते हुए जीना अध्यात्म की पहली सीढ़ी है। इसी के बाद आंतरिक अनुभव की यात्रा शुरू होती है। कोई इस यात्रा में जितना गहरा उतरता जाता है, भौतिक उपलब्धियों का मोह उतना ही पीछे छूटता जाता है। अंतर्मन के भीतर ज्ञान की जो निर्मल ज्योति जन्म लेती है, उसी से जीवन में चिर आनंद की प्राप्ति होती है।
जय गुरूजी. 

In English:

(Often hear people around us saying that they have wealth, if the status is, but the mind is still impatient and restless. Try to look inside looked inside to find that dark dark shadows of suspicion and apprehension. Achievement terrible emptiness around in life and all worldly pleasures despite not getting the true feeling. Have you ever considered why that situation occurs BACKYARD? Having achieved so much in the world, life does not make sense to us why? If this question we have added to the internal structure of the tree, it is very easy to unravel a complicated knot. Living tree in the world, the only creatures on the ground floor, then up and down, develops in three dimensions. The trunk of the tree branches out of the upward move, the more its roots are descending deeper into the ground below. From them the earth, and his grip a single trunk and branches from them, turned them green twigs, flowers, leaves and other writings on them swinging provides durability. Tree rooted deep in the earth, are not squeamish, they can crumble storm lightly go awry. While solid roots sky trees stand upright and do things for centuries the biggest storm they can not harm children.

The biological behavior of the tree we can learn in life straight. Achievement earthly human life-size is the same as the location of the tree appear. Matter how attractive, how attractive it is in full bloom, many are laden with fruit, the real security, a lack of true sustainability is only when we are able to take in developing strong roots. To get strong roots in human life requires us to enter deeper into spirituality. On this side of natural life in the glare of the Maya are disregarded. As a result, our inner strength to withstand minor disasters could not be developed, there is little wind that we are falling.

True happiness can be found by descending into the depths of spirituality. To live in the divine act of dedication is the first rung of the spiritual. After the experience of the inner journey begins. Descends deeper into this journey is, the more desire for physical achievements are left behind. Within the clear light of inner wisdom is born of him in life leads to eternal bliss.)
Jai Guruji.

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