अपनी बिटिया की व्यक्तित्व को निखारना चाहती हैं तो उसे बचपन से ही खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। वो जितना खेलेगी, उतनी ही खिलेगी, निखरेगी और चमकेगी।
खेलना आपकी बेटी के लिए क्यों जरूरी है?
अगर आप चाहती हैं कि आपकी बिटिया अपने दोस्तों के बीच अलग ही नजर आए तो उसे खेलने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें। खेल-कूद न सिर्फ उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, बल्कि अब तो अच्छे करियर के लिए भी जरूरी है। स्पोर्ट्स में भाग लेने वाली लड़कियां थोड़ी अलग होती हैं। ज्यादा सक्रिय, ज्यादा फुर्तीली और ज्यादा हाजिर जवाब। आम लड़कियों के मुकाबले इनमें हिम्मत भी ज्यादा होती है। जीत की ललक और टीम भावना इन्हें खेल के साथ ही मिलती है। अमेरिकन असोसिएशन ऑफ युनिवर्सिटी वुमेन की रिपोर्ट की मानें तो स्पोर्ट्स में शामिल होने वाली बच्चियों और युवतियों में सामान्य बच्चियों और लड़कियों के मुकाबले ज्यादा आत्मसम्मान होता है और इनके डिप्रेशन से ग्रसित होने की आशंका न्यूनतम होती है।
इसमें कोई दोराय नहीं कि खेल लड़कियों को विशेष बनाता है। उन्हें एक नई चमक देता है। सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, ज्वाला गट्टा, ताशी मल्लिक, मैरी कॉम और तमाम ऐसे नाम इसकी मिसाल हैं। लेकिन जीवन में खेल को शामिल करने का मकसद सिर्फ नाम और शोहरत पाना नहीं, बल्कि अपनी पर्सोनैलिटी को बेहतर करना भी है। यह लड़कियों को शारीरिक और मानसिक स्तर पर मजबूत बनाता है। बेटी को साहसी और निर्भय बनाने के लिए उसकी दुनिया में खेलों का शामिल होना जरूरी है।
आइए जानते हैं कि स्पोर्ट्स का बच्चियों पर क्या असर होता है।
खुद को करती हैं पसंद :
शारीरिक रूप से सक्रिय रहने वाली लड़कियों की सोच स्पोर्ट्स न खेलने वाली लड़कियों के मुकाबले ज्यादा सकारात्मक होती है। उन्हें अपनी छवि, अपना शरीर, अपनी सक्रियता बेहद पसंद आती है। मोटापे और दूसरी बीमारियों से दूर रहने के चलते वे खुद से बेहद प्यार करती हैं। खुद के बारे में बनी उनकी अपनी सकारात्मक राय उनके आत्मसम्मान को बढ़ाता है। उन्हें संपूर्ण और हुनर से भरे होने का अहसास कराता है और यही अहसास उनके आत्मविश्वास को भी बढावा देता है।
इच्छाशक्ति होती है मजबूत :
स्पोर्ट्स खेलने वाली बच्चियों की इच्छाशक्ति मजबूत हो जाती है। अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण और धैर्य रखने की सीख इन्हें खेल से ही मिलती है। ऐसे में बच्चियां ईटिंग डिसऑर्डर या असामाजिक आचरण की ओर अग्रसर नहीं होतीं। इन्हें धूम्रपान और नशे की लत नहीं लगती। यदि गलती से इस चपेट में आ भी गईं, तो मजबूत आत्मबल होने की वजह से इससे बाहर भी निकल आती हैं।
डिप्रेशन से रहती हैं दूर :
शारीरिक सक्रियता हमें डिप्रेशन और तनाव का शिकार नहीं होने देती। खेलने से मन खुश रहता है और साथ ही अच्छा और उत्साहित महसूस कराने वाले हार्मोनों का स्तर शरीर में बढ़ जाता है। एंडोर्फिन्स, सेरोटोनिन, डोपामाइन और ग्रेलिन जैसे हार्मोन प्राकृतिक मूड लिफ्टर का काम करते हैं। खेलने से शरीर में इन हार्मोन का स्तर बढ़ता है और मूड अच्छा रहता है। इसलिए स्पोर्ट्स खेलने वाली बच्चियां ताउम्र तनाव व डिप्रेशन से दूर रहती हैं। वो विपरीत परिस्थितियों का सामना भी बेहतर तरीके से कर पाती हैं।
ध्यान रहता है केंद्रित :
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के अनुसार सामान्य बच्चों के मुकाबले स्पोर्ट्स खेलने वाले बच्चों का दिमाग ज्यादा तेज होता है। उन्हें ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत नहीं होती। ऐसी बच्चियों में सोचने, समझने, सीखने और फैसले लेने की क्षमता दूसरों की तुलना में ज्यादा होती हैं। इसलिए हर दिन बेटी को कम से कम आधे घंटे के लिए खेलने के लिए प्रेरित जरूर करें।
रहती हैं स्वस्थ :
अनुशासन और समय की पाबंदी, स्पोर्ट्स की पहली शर्त है, जो जीवन के हर क्षेत्र में काम आती है। जो युवतियां खेल को शौक बना कर जारी रखती हैं, वे शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहती हैं। गर्भावस्था में शरीर लचीला होने की वजह से इन्हें कम दिक्कतें आती हैं। इसी तरह नौकरी के दौरान भी वे ज्यादा कुशलता से अपना काम कर पाती हैं। अच्छी इम्युनिटी की वजह से वे कम बीमार पड़ती हैंड और बढ़ती उम्र की दुश्वारियां इन्हें कम सताती हैं।
आती है इन्हें अच्छी नींद :
वैसे तो नींद सभी के लिए जरूरी है। लेकिन डय़ूक युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के अनुसार नींद की कमी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। नींद की कमी से जूझ रही महिलाओं में डायबिटीज, हृदय रोग व मानसिक रोग का खतरा रहता है। स्मरण शक्ति पर भी इसका प्रतिकूल असर होता है। ऐसे में खेल बेटी को मीठी नींद सुलाने में मददगार होगा। लेडी हार्डिंग कॉलेज की डॉक्टर मोनिका पुरी के अनुसार अच्छी नींद दिमागी सेहत को बेहतर बनाती है। लेकिन ध्यान रहे कि रात में सोने के एक-दो घंटे पहले बेटी को न खेलने दें, क्योंकि इससे मिली ऊर्जा बेटी को सोने नहीं देगी।
ऐसे करें बिटिया को प्रोत्साहित :
खेल हर बच्चे को पसंद आता है। आपका हल्का -सा प्रोत्साहन भी उसके लिए चमत्कार कर सकता है। हम लड़कियों की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आउटडोर खेलों में अक्सर बच्चियां पीछे रह जाती हैं। उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल जरूरी है। इसलिए अपनी बच्चियों को खेल के लिए जरूर प्रेरित करें। यहां दिए गए टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं:
साथ खेलें :
कहते हैं बच्चियां पापा के ज्यादा करीब होती हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ मां के साथ उनकी नजदीकी बढ़ जाती है। इसलिए जब आप अपनी बेटी के साथ खेलेंगी तो खेल में उसकी रुचि और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
दिखें उत्साहित :
खेल को लेकर यदि आप उत्साहित रहेंगी तो आपकी बेटी पर भी इसका सकारात्मक असर होगा। साथ ही बेटी के दोस्तों को भी शामिल करें। इससे उसका उत्साह बढ़ेगा।
खेल से संबंधित जानकारी बढ़ाएं :
खेल के बारे में जैसे-जैसे जानकारी बढ़ती है उसमें दिलचस्पी भी बढ़ जाती है। ऐसे में अपनी बेटी को उन दोस्तों से मिलवाएं, जो खेल के बारे में ज्यादा जानते हैं। लाइब्रेरी जाएं, वहां से जानकारी एकत्रित करें और बेटी के साथ साझा करें।
शाबाशी देना न भूलें :
बच्चे कुछ अच्छा करें तो उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए शाबाशी देना जरूरी है। इससे बच्चों का आत्मबल बढ़ता है और वह बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं। स्पोर्ट्स की शुरुआत में ही असफलता का अहसास उन्हें खेल से दूर ले जा सकता है।
साथ में देखें मैच :
कॉलेज हो या स्कूल अपनी बेटी के साथ बैठकर मैच देखना न भूलें। आपके साथ से बिटिया को प्रोत्साहन मिलेगा और वह बेहतर प्रदर्शन करेगी और उनका आत्मविश्वाश भी बढ़ेगा.
जय गुरुजी.
(If your daughter wants to improve the personality to encourage him to play as a child. They play much, much playing, smart and bowels.
Why is it important for your daughter to play?
If you want your daughter looked so different among my friends encourage him to play of course. Sport not only for his physical and mental development, but now it is also essential for good careers. Take part in sports, girls are a little different. More active, more agile and more quick-witted. Girls are more likely than ordinary courage of these. The urge to win and team spirit as well as get them playing. According to the American Association of University Women reported that girls and women in sports in general and their self-esteem than girls, and girls suffering from depression is suspected to be the minimum.
Without any doubt, that is specific to girls. Gives them a new shine. Sania Mirza, Saina Nehwal, Jwala Gatta, Tashi Malik, Mary Kom and all the names that are one example. But only aim in life is to include the name and fame to the sport, but also to improve its Personality. It builds girls physical and mental level. Courageous and fearless daughter to be included in his world of sports. Let us know what happens to girls in sports:
Like himself are:
Thinking of staying physically active girls playing sports than girls is positive. His image, his body, his activism comes love. Obesity and other diseases to stay away because they are themselves adored. About himself in his own positive feedback enhances their self-esteem. They are perfect and the feeling of being full of talents and the realization also promotes their confidence.
The will is strong:
Of girls playing sports is strong willed. Patience learned to control my desires and receives them from the game. The eating disorder or anti-social behavior towards the children are not. They do not smoke and addictive. If the mistake were also the vulnerable, then get out of it because of the strong initiative comes.
Away from depression are:
Physical activity does not let us succumb to depression and stress. Playing mind is happy and excited to feel good as well as to the level of hormones in the body increases. Andorfins, serotonin, dopamine and hormones like the natural mood lifters Grelin work. Playing these hormone levels in the body increases and the mood is good. So the children playing sports rest of his life away from stress and depression are. They are able to face adversity even better.
Attention remains focused:
According to a report by the Centers for Disease Control and Prevention normal children is much faster than the brains of children who play sports. They would not be difficult to focus. Such girls thinking, understanding, learning and decision-making ability are more than others. So at least for half an hour every day, daughter inspire play asks.
Healthy living:
Discipline and punctuality, is the first condition of sports, which is used in every area of life. Young women continue to make the game hobby, they are physically healthy. They are due to be flexible in pregnancy body less experienced some difficulties. Similarly, on the job, they are able to do their job more efficiently. Good immunity falls ill because they used less and less of aging problems they are harassed.
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Well, sleep is important for everyone. But Dyhuk University Medical Center, according to the lack of sleep affects more women than men. Lack of sleep in women suffering from diabetes, heart disease and mental illness are at risk. But also adversely affects the memory. The game will help daughter sleep sweet sleep. Lady Hardinge College, according to Dr. Monica Puri good sleep improves mental health. But remember that one or two hours of sleep at night not to play first daughter, daughter to sleep, as it will not have the energy.
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The game is like every child. -sa Light can do wonders for your encouragement. We speak of the girls are doing so because the children often fall behind in outdoor sports. Their physical and mental development is essential to the game. Therefore encourage their girls to the game of course. Here are some tips that can help you:
Play:
Papa says the children are close to. But with the aging of their proximity with the mother increases. So when you play with my daughter and her interest in the game will increase confidence.
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Do not forget to praise:
Do something good for children to encourage them to give praise is necessary. This increases the strength of the children and try to perform better. Sports at the beginning of the realization of failure that could lead them away from the game.
See the match with:
College or school with my daughter sit Do not miss the match. Will encourage your daughter and he would perform much better than with his self confidence also grow.)
Jai Guru ji.
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